देश

आरएसएस ने शिक्षा के लिए मातृभाषा का समर्थन किया, पढ़ें प्रतिनिधि सभा की बैठक में क्या-क्या हुआ?

Share now

नीरज सिसौदिया, बेंगलुरु
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव सी आर मुकुंद ने हिंदी भाषा को लेकर बढ़ते विवाद के बीच शुक्रवार को कहा कि संघ मातृभाषा को शिक्षा और दैनिक संचार का माध्यम बनाने का समर्थन करता है। उन्होंने परिसीमन पर बहस को ‘‘राजनीति से प्रेरित” बताया। आरएसएस नेता ने द्रमुक पर भी परोक्ष हमला किया, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत त्रि-भाषा फार्मूले का विरोध कर रही है। मुकुंद ने कहा कि राष्ट्रीय एकता को चुनौती देने वाली ताकतें चिंता का विषय हैं। आरएसएस के शीर्ष निर्णायक मंडल ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस)’ की शुक्रवार को यहां शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक के संबंध में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुकुंद ने कहा कि मणिपुर की स्थिति और देश में ‘उत्तर-दक्षिण विभाजन’ पैदा करने के प्रयासों सहित ‘‘कुछ समकालीन और ज्वलंत मुद्दों पर गहन चर्चा” होगी। बैठक का उद्घाटन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किया। इस बैठक में संघ से जुड़े 32 संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे। तीन भाषाओं को लेकर विवाद के बारे में पूछे जाने पर मुकुंद ने कहा कि संघ कोई प्रस्ताव पारित नहीं करेगा और संगठन शिक्षा एवं दैनिक संचार के लिए मातृभाषा को प्राथमिकता देता है। परिसीमन बहस पर संघ नेता ने कहा कि यह ‘‘राजनीति से प्रेरित” है और सीटों की संख्या पर आरएसएस का कोई नियंत्रण नहीं है। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय एकता को चुनौती देने वाली ताकतें चिंता का विषय हैं। मुकुंद ने कहा, ‘‘एक संगठन के रूप में हम उन ताकतों को लेकर चिंता में हैं जो राष्ट्रीय एकता को चुनौती दे रही हैं खासकर उत्तर-दक्षिण के विभाजन को लेकर , चाहे वह परिसीमन की वजह से हो या भाषाओं के कारण।” उन्होंने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक और संघ परिवार से संबंधित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता, विशेष रूप से कुछ राज्यों में सद्भाव लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। मुकुंद के अनुसार, पिछले एक साल में आरएसएस का कई गुना विस्तार हुआ है। उन्होंने बताया,‘‘वर्तमान में 83,129 सक्रिय शाखाएं हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में 10,000 से अधिक हैं।” मुकुंद ने कहा, ‘‘मणिपुर पिछले 20 महीनों से कठिन दौर से गुजर रहा है, लेकिन अब कुछ उम्मीदें जगी हैं। जब हम मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार की दृष्टि को देखते हैं तो इसमें वहां के लोगों के लिए आशा की किरण दिखाई देती है।” उन्होंने कहा कि आरएसएस स्थिति का विश्लेषण कर रहा है और उसका मानना है कि ‘सामान्य माहौल बनने में लंबा वक्त लगेगा।’

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *