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फरीदपुर विधानसभा सीट : किस ‘सागर’ से निकलेगा ‘विजय’ का मोती?, सियाराम सागर की विरासत किसे मिलेगी? क्या विजयपाल पर फिर भरोसा करेगी सपा, पढ़ें कौन-कौन हैं सपा के प्रबल दावेदार?

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नीरज सिसौदिया, बरेली

बरेली जिले की नौ विधानसभा सीटों में से एक फरीदपुर (अनुसूचित जाति आरक्षित) विधानसभा सीट पर भी समाजवादी पार्टी की चुनावी तैयारियां तेज हो गई हैं। सपा के टिकट के दावेदार अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं। साथ ही कुछ नेता अंदरखाने साइकिल पर सवार होने की तैयारी कर रहे हैं। फिलहाल टिकट के दो प्रमुख दावेदार हैं जो मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी को मजबूती देने का काम कर रहे हैं। इनमें एक हैं पूर्व विधायक विजयपाल सिंह और दूसरे हैं पूर्व ब्लॉक प्रमुख चंद्रसेन सागर।
विजयपाल सिंह बहुजन समाज पार्टी से विधायक रहे थे। पिछले चुनाव में वह समाजवादी पार्टी से मैदान में उतरे थे लेकिन महज 3251 वोटों से उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। उनकी हार की एक वजह बहुजन समाज पार्टी और पूर्व विधायक सियाराम सागर के परिजनों में हुए वोटों के बंटवारे को भी माना जा रहा है।
विजय पाल सिंह को 88604 वोट मिले थे और भाजपा विधायक प्रो श्याम बिहारी लाल ने 91855 वोट हासिल कर इस सीट पर कब्जा जमाया था। बसपा की शालिनी सिंह 14434 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रही थीं। कांग्रेस ने भूतपूर्व विधायक स्वर्गीय सियाराम सागर के पुत्र विशाल सागर को उतारा था जिन्हें 1737 वोट मिले थे और उनके चचेरे भाई अमिष सागर को 1754 वोट मिले थे।

विजयपाल सिंह

बता दें कि भूतपूर्व विधायक सियाराम सागर के निधन के बाद उनके भाई और बेटों में विरासत की जंग छिड़ गई थी। सियाराम सागर के छोटे भाई और पूर्व ब्लॉक प्रमुख अपने बड़ेभाई की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सपा से टिकट की दावेदारी कर रहे थे और सियाराम सागर के पुत्र कांग्रेस से मैदान में उतर गए। सपा ने विजयपाल सिंह पर दांव खेला तो चंद्रसेन सागर ने अपने पुत्र अमिष सागर को मैदान में उतार दिया। चंद्रसेन सागर इस बार फिर से सपा से टिकट का दावा कर रहे हैं। शिवपाल यादव के करीबी रहे चंद्रसेन सागर सपा के दोफाड़ होने पर शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) में चले गए थे। साफ-सुथरी छवि वाले चंद्रसेन सागर की तीन बेटियां यूपीएससी परीक्षा पास कर अधिकारी बन चुकी हैं। जिस तरह शिवपाल सिंह यादव को नेताजी स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव का हनुमान कहा जाता था, उसी तरह चंद्रसेन सागर भी सियाराम सागर के हनुमान कहे जाते थे। पूर्व ब्लॉक प्रमुख होने के नाते उनकी इलाके में अच्छी पकड़ भी है। अब जबकि शिवपाल यादव सपा में वापसी कर चुके हैं तो चंद्रसेन सागर की उम्मीदों को भी पंख लगने लगे हैं।

चंद्रसेन सागर

इस बार वह सपा के टिकट के प्रबल दावेदारों में शुमार हो चुके हैं। उनका मुकाबला फिलहाल विजयपाल सिंह के साथ होना है क्योंकि विजयपाल सिंह के अलावा फिलहाल कोई भी प्रबल दावेदार समाजवादी पार्टी में नहीं है।
अब बात करते हैं दूसरे दलों के नेताओं की जो अंदरखाने समाजवादी पार्टी से टिकट लेने की जुगत में हैं। इनमें पहला नाम ब्रह्मस्वरूप सागर का है। समाजवादी पार्टी में पूर्व जिला अध्यक्ष वीरपाल सिंह यादव की किचन कैबिनेट का हिस्सा रहे ब्रह्मस्वरूप सागर पिछले चुनाव में टिकट न मिलने पर सपा से खफा हो गए थे।

ब्रह्मस्वरूप सागर

हालांकि, उन्होंने निर्दलीय मैदान में उतरना मुनासिब नहीं समझा। बाद में वह सपा छोड़कर बसपा में चले गए थे। फिलहाल वह किसी भी दल का हिस्सा नहीं हैं और एक बार फिर सपा में जमीन तलाश रहे हैं। इसी तरह भूतपूर्व विधायक सियाराम सागर के बड़े पुत्र विशाल सागर भी चुनाव लड़ना चाहते हैं। फिलहाल वह कांग्रेस में हैं।

विशाल सागर

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि इस बार का विधानसभा चुनाव वह इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर लड़ेंगे। अगर ऐसा हुआ तो विशाल सागर भी सपा के दावेदारों को कड़ी टक्कर देते नजर आएंगे। सूत्र बताते हैं कि विशाल सागर सपा में भी राजनीतिक भविष्य तलाश रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर सपा-कांग्रेस का गठबंधन होता है तो भाजपा के लिए फरीदपुर फतह करना लगभग नामुमकिन सा हो सकता है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में जिस तरह से विजयपाल सिंह ने वोटों के बंटवारे के बाद भी भाजपा उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी थी इस बार सपा को कांग्रेस का सहारा भी मिल जाएगा। साथ ही इस बार बसपा की स्थिति पिछले चुनाव के मुकाबले बेहद खराब है। ऐसे में इस बार बसपा उम्मीदवार कितने वोट काट पाएगा यह कहना मुश्किल है। अब सपा की जीत योग्य प्रत्याशी के चयन पर निर्भर करेगी। विजय का मोती किस सागर से निकलेगा यह देखना दिलचस्प होगा।

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