नीरज सिसौदिया, बरेली
विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी उठापटक का दौर शुरू हो चुका है. बहुजन समाज पार्टी जहां वजूद खोती जा रही है वहीं कांग्रेस अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. भारतीय जनता पार्टी में एंट्री सबके लिए मुमकिन नहीं है. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी का कुनबा बढ़ने की दिशा में अग्रसर है. बात अगर बरेली मंडल की करें तो यहां जल्द ही कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. यहां के दो दिग्गज नेता समाजवादी पार्टी में जमीन तलाश रहे हैं. इनमें से एक बसपा से पूर्व विधायक के परिवार से हैं तो दूसरे कांग्रेस से हैं.
दरअसल, समाजवादी पार्टी के दो टुकड़ों में बंटने के बाद बरेली के दिग्गज सपा नेताओं में शुमार पूर्व जिला अध्यक्ष वीरपाल सिंह प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में चले गए. इसके बाद एक-एक कर सपा का कुनबा बिखरने लगा. हाल ही में सपा की गुटबाजी भी खुलकर सामने आई थी. पूर्व मंत्री भगवत सरन समेत कुछ और नेता भी इसे संवारने में जुटे हुए हैं लेकिन इस बिखराव को जोड़ पाना उनके बूते की बात प्रतीत नहीं होती. सपा की इन्हीं परिस्थितियों का फायदा दो दिग्गज नेता उठाने की फिराक में हैं. सियासी सूत्र बताते हैं कि पूर्व बसपा विधायक वीरेंद्र सिंह के बेटे आशीष सिंह अब सपा में सियासी जमीन तलाश रहे हैं. वह अपने पिता की राजनीतिक विरासत का सफरनामा अब सपा की साइकिल से तय करना चाहते हैं. वह अपने पिता की सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. हालांकि, उन्होंने अभी तक सार्वजनिक रूप से इसका ऐलान नहीं किया है लेकिन उनके करीबी सियासतदान आजकल इसी पर चर्चा करते नजर आ रहे हैं. संभव है कि वीरेंद्र सिंह का परिवार हाथी की सवारी छोड़ साइकिल दौड़ाता नजर आएगा.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के दिग्गज नेता और शाही परिवार से ताल्लुक़ रखने वाले पूूूूूर्व सांसद सर्वराज सिंह को लेकर भी कुछ ऐसी ही चर्चाओं का बाजार गर्म है. चर्चा है कि इस बार सर्वराज सिंह भी पंजा छोड़कर फिर से साइकिल चलाने का मूड बना रहे हैं. सियासी सूत्र बताते हैं कि सर्वराज सिंह भी जल्द ही सपा का दामन थाम लेंगे. हालांकि इन दिनों कोरोना के चलते वह लोगों से मिलने जुलने से परहेज कर रहे हैं लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व वह कांग्रेस को तगड़ा झटका दे सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो बरेली मंडल के सियासी समीकरण एकदम बदल जाएंगे. वीरेंद्र सिंह के बेटे का भले ही खुद कोई बड़ा सियासी वजूद न हो लेकिन वीरेंद्र सिंह सियासत के माहिर खिलाड़ी होने के साथ ही एक बड़ा कद भी रखते हैं. इसी प्रकार सर्वराज सिंह का व्यक्तित्व किसी परिचय का मोहताज नहीं है. सर्वराज सिंह अगर सपा में आते हैं तो कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक भी प्रभावित होगा क्योंकि सर्वराज सिंह मुस्लिमों के बीच भी गहरी पैठ रखते हैं.
बहरहाल, बरेली का सियासी ऊंट किस करवट बैठता है यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा.लेकिन उक्त दोनों दिग्गजों की मौजूदगी समाजवादी पार्टी के लिए संजीवनी साबित हो सकती है.साथ ही अगर वीरपाल सिंह और उनके साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले पूर्व डिप्टी मेयर डा. मोहम्मद खालिद जैसे नेताओं की भी सपा में वापसी हो जाती है तो निश्चित तौर पर बरेली मंडल में आगामी विधानसभा चुनाव जीतना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा.
चर्चा यह भी है कि चुनाव से पूर्व शिवपाल यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव के साथ समझौता करने की तैयारी में हैं. माना जा रहा है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी या तो सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी या फिर पार्टी में विलय हो जाएगा. सूत्र यह भी बताते हैं कि शिवपाल अपने चुनिंदा साथियों को पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं जिसके लिए अखिलेश यादव ने सहमति नहीं जताई है जिसकी वजह से मामला अधर में लटका है. बताया जाता है कि इसका विकल्प तलाशा जा रहा है. इसका फैसला आगामी बैठक में होने की संभावना है.
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