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एमएलसी चुनाव : क्या हर्षवर्धन आर्य को मिलेगा सेवा, समर्पण और वफादारी का ईनाम?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
भारतीय जनता पार्टी में सेवा और समर्पण कभी बेकार नहीं जाता, यह बात हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में साबित भी हो चुकी है। संगठन के प्रति बाल्यकाल से ही समर्पित भाजपा नेता को 125 कैंट विधानसभा सीट से पार्टी ने उम्मीदवार बनाकर विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ने का अवसर प्रदान किया है। इसी कड़ी में बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय क्षेत्र एमएलसी चुनाव के टिकट के प्रबल दावेदार और भाजपा ब्रज क्षेत्र उपाध्यक्ष हर्षवर्धन आर्य के उम्मीदवार बनने की संभावनाएं भी बढ़ती हुई नजर आ रही हैं।
हर्षवर्धन आर्य की प्रबल दावेदारी की दो मुख्य वजहें नजर आ रही हैं। पहली यह कि वह भी बाल्यकाल से ही संगठन के प्रति समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं और दूसरी यह कि बरेली कैंट विधानसभा सीट से प्रबल दावेदारी के बावजूद टिकट न मिलने के बाद भी हर्षवर्धन आर्य अन्य दावेदारों की तरह कोपभवन में न बैठकर पार्टी को पूरी तन्मयता से बरेली, कासगंज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चुनाव लड़ाते नजर आए। इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रैलियों की सफलता में भी हर्षवर्धन आर्य की अहम भूमिका रही। ऐसे में हर्षवर्धन आर्य इस वफादारी का ईनाम एमएलसी के टिकट के रूप में जरूर चाह रहे होंगे।
हर्षवर्धन के विरोधी भी संगठन के प्रति उनके समर्पण को स्वीकारते हैं। हर्षवर्धन की लगातार सक्रियता को वे हर्षवर्धन की दावेदारी का मजबूत आधार भी करार देते हैं क्योंकि एमएलसी के टिकट का कोई भी अन्य दावेदार हर्षवर्धन के मुकाबले सक्रियता और अहम जिम्मेदारियां निभाने में कहीं नहीं ठहरता। कोई विधानसभा का टिकट न मिलने पर आंखें दिखाता नजर आया तो कोई एमएलसी चुनाव हारने के बाद निष्क्रिय हो गया लेकिन हर्षवर्धन आर्य एकमात्र ऐसी शख्सियत रहे जो लगातार न सिर्फ सक्रिय रहे बल्कि अहम जिम्मेदारियां भी निभाते नजर आए। यही वजह है कि वह अब सबसे युवा और प्रबल दावेदार के रूप में एमएलसी की कतार में खड़े नजर आ रहे हैं। हालांकि, उनके कुछ विरोधियों का कहना है कि हर्षवर्धन आर्य पूर्व संगठन मंत्री भवानी सिंह के बेहद करीबी थे और कोरोना के कारण भवानी सिंह का निधन होने के बाद हर्षवर्धन का कोई ऐसा मजबूत पैरोकार पार्टी में नहीं रह गया है जो उन्हें एमएलसी का टिकट दिलवाने के लिए पैरवी कर सके। लेकिन फिलहाल विरोधियों का यह तर्क गले से नहीं उतरता है। बहरहाल, एमएलसी के टिकट के पार्टी में कई दावेदार हैं जिनमें सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा, महाराज सिंह, घनश्याम लोधी, पूरनलाल लोधी और पीपी सिंह के नाम सामने आ रहे हैं।

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