डा. शाहजेब हसन समाजसेवा के क्षेत्र से राजनीति में आए थे. मूलरूप से पुराना शहर के रहने वाले डा. हसन ने यहां के लोगों के दर्द को बेहद करीब से देखा और समझा है. उनके सेवा भाव का ही नतीजा था कि गैर मुस्लिम समुदायों में भी गहरी पैठ रखने वाले डा. हसन को वर्ष 2012 में शासन से बरेली विकास प्राधिकरण के सदस्य के तौर पर नामित किया गया. इस बार कैंट विधानसभा सीट के टिकट के दावेदारों में शुमार डा. हसन किन मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं? कैंट विधायक के दस वर्ष के कार्यकाल और विकास की रफ्तार को वह किस नजरिये से देखते हैं? विधायक बनने पर उनकी प्राथमिकताएं क्या होंगी? समाजवादी पार्टी के टिकट के अन्य दावेदारों से वह बेहतर क्यों हैं? कोरोना काल में जब लोग घरों में दुबके थे तो डा. हसन सड़कों पर सेवा कर रहे थे लेकिन अपने सेवा कार्यों की कोई भी तस्वीर उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर नहीं की, इसकी क्या वजह रही? ऐसे कई मुद्दों पर डा. शाहजेब हसन ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : आप मूल रूप से कहां के रहने वाले हैं, पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही आपकी?
जवाब : मेरा जन्म सहसवानी टोला, जगतपुर पुराना शहर में हुआ था. मेरे दादा- परदादा यहीं के रहने वाले हैं. मेरे दादा m.e.s. में थे और मेरे पिता इंजीनियर हैं. मेरे परिवार में मेरी चार बहनें भी हैं. मेरा बचपन यहीं बीता. मेरी कोई राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं रही है. राजनीति में आने वाला मैं अपने परिवार का पहला सदस्य हूं.
सवाल : आपने पढ़ाई-लिखाई कहां से की?
जवाब : आर्मी स्कूल से मैंने शुरूआती शिक्षा ली. इसके बाद वुडरो से इंटर किया और फिर बरेली कॉलेज से बीएससी की. इसके बाद रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज से मैंने बीडीएस किया. वर्ष 2012 में बीडीएस पास आउट होने के बाद से मैं प्रैक्टिस कर रहा हूं.
सवाल : राजनीति में आना कैसे हुआ, अब तक का सफर कैसा रहा?
जवाब : मुझे समाज सेवा का शौक शुरू से ही था. वर्ष 2004 में हमने नवयुवक सद्भावना समिति बनाई थी. मेरे बड़े भाई एवं मार्गदर्शक अंकुर शर्मा जी के साथ मिलकर हमने कमेटी बनाई थी जिसे वर्ष 2005 में रजिस्टर किया गया और उसी समिति के बैनर तले हमने समाजसेवा का काम शुरू किया. समाज सेवा के क्षेत्र में आने के बाद हम राजनीति से भी जुड़ गए. वर्ष 2004 में बीएससी में एडमिशन लेने के साथ ही मैं समाजवादी छात्र सभा से भी जुड़ गया था. उसके बाद लगातार समाजवादी पार्टी से जुड़ा हुआ. वर्ष 2011 में मुझे अल्पसंख्यक सभा का महानगर अध्यक्ष बनाया गया था. वर्ष 2012 में मुझे दोबारा समाजवादी अल्पसंख्यक सभा का महानगर अध्यक्ष बनाया गया. जब सपा की सरकार बनी तो मुझे शासन से बरेली विकास प्राधिकरण का सदस्य नामित किया गया था. अब वर्ष 2021 में जो नई कार्यकारिणी बनी है उसमें मुझे महानगर सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
सवाल : किस तरह की समाज सेवा की आपने, क्या कोई उल्लेखनीय कार्य भी किया?
जवाब : सबसे पहले हमने सफाई अभियान चलाया था. उस वक्त मैं ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में था. कई मोहल्ले ऐसे थे जहां सड़कों का बुरा हाल था, जलभराव होता था. उस समय डॉक्टर आईएस तोमर मेयर थे. उनसे निवेदन करके हमने जगतपुर, बुखारपुरा, सहसवानी टोला आदि इलाकों में सड़कों का काम करवाया. कुसुम कुमारी जाने वाली बच्चियां जलभराव के कारण ईंटें डालकर स्कूल जाया करती थीं तो हमने कुसुम कुमारी से पनवड़िया तक, फिर सहसवानी टोला और फिर 2017 में जब मैं बीडीए का नामित सदस्य बना तो गल्ला मंडी की सड़कें बनवाईं. इसके अलावा हमने सबसे महत्वपूर्ण कार्य कन्या भ्रूण हत्या रोकने की दिशा में किया. रुहेलखंड में हमारी संस्था पहली संस्था थी जिसने सबसे पहले कन्या भ्रूण हत्या के मुद्दे को उठाया था. हमने वर्ष 2007 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का स्लोगन दिया था जिसे आज सरकार ने भी अपनाया है. तब शहर में यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा था. एक-एक अल्ट्रासाउंड सेंटर जाकर हमने लोगों को जागरूक किया. हमने कन्या भ्रूण हत्या के वास्तविक कारणों के बारे में जाना और उसके बारे में लोगों को जागरूक किया. पता चला कि सबसे ज्यादा कन्या भ्रूण हत्याएं दहेज की वजह से होती हैं. बेटी के पैदा होते ही मां-बाप को दहेज की चिंता सताने लगती है. इस पर हमने दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया. शहर में जगह-जगह नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को जागरूक किया. जब नवंबर 2020 में मेरी शादी हुई तो मैंने खुद भी एक रुपए भी दहेज नहीं लिया क्योंकि मेरा मानना है कि लोग तभी आपके बताए रास्ते पर चलेंगे जब आप खुद उस रास्ते को अपनाएंगे.
सवाल : अब आपने कैंट विधानसभा सीट से टिकट के लिए आवेदन किया है. आपमें ऐसा क्या खास है कि पार्टी अन्य दावेदारों को छोड़कर सिर्फ आपको टिकट दे?
जवाब : देखिए टिकट के दावेदारों में कुछ लोग ऐसे हैं जो आज ही सक्रिय हुए हैं. कुछ लोग ऐसे हैं जो आवेदन करने के बाद सक्रिय हो रहे हैं. कुछ वार्ड के मेंबर हैं जो अपना काम करते आ रहे हैं लेकिन मैं न तो वार्ड का मेंबर था और न ही कोई राजनीतिक घराने से हूं सिर्फ समाज सेवा ही मुझे यहां तक लेकर आई है. मैंने अपनी स्टूडेंट लाइफ से लेकर आज तक सिर्फ काम ही किया है. वर्ष 2004 से आज तक 1 दिन भी ऐसा नहीं हुआ जिस दिन मैं खाली बैठा हूं. कोरोना काल में जब लोग अपने घरों में दुबके रहे तब हमने जान हथेली पर रखकर लोगों को खाने और राशन के पैकेट बंटवाए. लगातार तीन महीने तक हमने यह पैकेट बांटे लेकिन कभी सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार करके उन साथियों को शर्मिंदा नहीं होने दिया. अपने साथियों को भी मैंने समाज सेवा के कार्य का प्रचार प्रसार करने से मना कर दिया था. हमने हजियापुर, आजाद नगर, गौटिया, चक, जगतपुर, बुखारपुरा, सहसवानी टोला, कांकरटोला और यहां से लेकर बानखाने तक राशन और भोजन के पैकेट बांटे. मरीजों को भर्ती करवाया उन तक दवाई भी पहुंचाई. 31 मई से हम लगातार कोरोना वायरस के खिलाफ कैंप भी लगा रहे हैं. आज हमारे 15 जगहों पर कैंप लग चुके हैं. एयरपोर्ट तक हमने कैंप लगाए हैं.
सवाल : हर बार समाजवादी पार्टी के कैंट सीट से मुस्लिम प्रत्याशी उतारती है लेकिन उसे दो बार से लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में इस बार इस सीट से आपको क्यों उतारा जाए?
जवाब : कैंट विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है. मैं यहीं के रहने वाला हूं और अंसारी बिरादरी से ताल्लुक रखता हूं जिसकी तादाद अन्य बिरादरी की अपेक्षा कहीं अधिक है. मैं मुस्लिम और नॉन मुस्लिम दोनों ही समुदायों में अच्छी पैठ रखता हूं. डॉक्टर होने के नाते मुझे लोग पसंद करते हैं और सभी से मेरे बेहतर संबंध हैं. मेरे अलावा जो भी प्रत्याशी आवेदन कर रहे हैं वे बाहर के हैं. वे यह भी स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं कि वह कितने वोट पार्टी के लिए ले पाएंगे. कैंट में मुस्लिम वोटर्स की संख्या एक लाख से भी अधिक है तो हमारी तो शुरुआत ही एक लाख से होगी. हिंदू प्रत्याशी उतरेगा तो मुस्लिम वोट बिखर जाएगा.
सवाल : बचपन से लेकर अब तक आप कैंट विधानसभा क्षेत्र को देखते आ रहे हैं, तब और अब में विकास की दृष्टि से क्या बदलाव महसूस करते हैं?
जवाब : बदलाव तो यहां कम ही हुआ, बर्बाद ज्यादा हुआ है. विकास तो यहां न के बराबर ही हुआ है. पुराने शहर के अभी भी वही हालात हैं जो पहले हुआ करते थे. कैंट विधानसभा सीट पूरी तरह से उपेक्षित रही है. यहां के वर्तमान विधायक राजेश अग्रवाल जी को कभी किसी ने नहीं देखा. 15 साल से मैंने खुद राजेश अग्रवाल की कभी कोई मीटिंग यहां होते नहीं देखी. कभी यहां उन्हें पैदल चलते नहीं देखा मेरी नजर में वह सबसे नाकाम विधायक हैं.
सवाल : कैंट विधानसभा सीट के प्रमुख मुद्दे आपकी नजर में क्या हैं?
जवाब : कैंट विधानसभा सीट का प्रमुख मुद्दा मेरी नजर में 30 साल पुरानी सीवर लाइन है जो अब बैठ चुकी है. नालियां पूरी तरह से चूक हो चुकी हैं. नालियों में गंदगी रहती है. लोग नालियों में मैला बहाने को मजबूर हो रहे हैं. दूसरा मुद्दा ड्रेनेज सिस्टम का है. यहां ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से फेल है. डेयरियो ने सारे नाले नालियों को चोक कर दिया है. एक अन्य मुद्दा सड़कों का है. यहां की मुख्य सड़कें तो कुछ हद तक ठीक हैं लेकिन अंदर की सड़कें पूरी तरह से बदहाल हैं. लोगों ने अतिक्रमण कर नालियां भी पाट दी हैं. सारी गलियां नीची हो गई हैं. जरा सी बारिश में इलाका जलमग्न हो जाता है लेकिन कोई देखने वाला नहीं है.
सवाल : वर्तमान विधायक के 10 साल के कार्यकाल को आप किस नजरिए से देखते हैं?
जवाब : निवर्तमान विधायक के 10 साल के कार्यकाल में मैंने न तो उन्हें देखा और न ही कोई काम होते देखा. तोमर साहब जब मेयर बने थे तो पहली बार में उन्होंने काफी काम कराए थे. जब दोबारा मेयर बने तो भी कुछ काम कराए लेकिन पहली बार से कम काम करवाए मगर राजेश अग्रवाल ने कुछ नहीं कराया.
सवाल : अगर पार्टी आपको मौका देती है तो आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?
जवाब : मेरी पहली प्राथमिकता शिक्षा की बदहाली को दूर करना और बेटियों के लिए एक सुविधा संपन्न इंटर कॉलेज खोलने की होगी. यहां का बारादरी स्कूल बर्बाद हो चुका है. आजाद स्कूल भी बदहाल हो गया है. इनका जीर्णोद्धार कराना मेरी प्राथमिकताओं में शामिल है. इन्हें वापस उसी स्तर पर लाना होगा जिस स्तर पर कभी ये स्कूल हुआ करते थे. हमारे इलाके में एक कुसुम कुमारी स्कूल है जिसमें 70 फीसदी बच्चियां अल्पसंख्यक समुदाय की पढ़ती हैं अगर वह स्कूल न हो तो ये बच्चियां अशिक्षित रह जाएंगी क्योंकि बहुत से मां-बाप उन्हें पुराना शहर क्रॉस करके इस्लामियां नहीं भेजना चाहते. यहां कई बच्चियां ऐसी हैं जो साइंस में, मैथमेटिक्स में बहुत अच्छा कर सकती थीं लेकिन हमारे जो कुसुम कुमारी इंटर कॉलेज और जवाहर मेमोरियल स्कूल हैं उनमें सिर्फ आर्ट्स के सब्जेक्ट हैं. साइंस के सब्जेक्ट ही नहीं हैं. मां बाप ने मजबूरी में उन्हें आर्ट दिलवा दी क्योंकि वे इन बच्चियों को इस्लामियां नहीं भेजना चाहते थे. यहां बहुत सी बच्चियां थीं जो डॉक्टर बन सकती थीं, इंजीनियर बन सकती थीं लेकिन स्कूल के अभाव में उनका करियर शुरू होने से पहले ही चौपट हो गया. मेरा मकसद एक ऐसी कोचिंग का सेटअप करना भी है जिसमें हम गरीब बच्चों को नीट, इंजीनियरिंग और सिविल सर्विसेज की कोचिंग नि:शुल्क दे सकें ताकि गाइडेंस के अभाव में इन बच्चों के करियर पर विपरीत असर न पड़े. तीसरा काम मेरा यह होगा कि भाजपा सरकार के चलते हिंदू मुस्लिम के बीच जो सांप्रदायिक मतभेद पैदा हुए हैं उन सांप्रदायिक मतभेदों को दूर करके सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाया जाए. हमारे मुद्दे विकास के होने चाहिए हिंदू और मुस्लिम के नहीं. अगर मौका मिलता है तो जरी कारीगर, फर्नीचर उद्योग, बेंत के कारोबार को भी बढ़ावा देने का काम मैं करूंगा.
सवाल : स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर क्या कहेंगे?
जवाब : स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पूरी तरह फेल है. स्मार्ट सिटी के नाम पर सिर्फ अतिक्रमण हटाया गया लेकिन इसका कोई भी बी प्लान अमल में नहीं लाया गया. मेयर उमेश गौतम ने एक भी एरिया चमन करके नहीं दिखाया. उन्होंने यहां तोड़फोड़ तो की लेकिन उस एरिया को मॉडल बनाने का कोई प्रयास नहीं किया. कुछ नहीं हुआ यहां पर. आजमनगर के हालात ये हैं कि दो वार्डों के चक्कर में पूरा इलाका बर्बाद हो चुका है. लेकिन कोई देखने वाला नहीं है.