नीरज सिसौदिया, बरेली
सावन के महीने में चुनावी बरसात भी शुरू हो चुकी है. एक तरह पौधे लगाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ सियासत की बेल फैलने लगी है. बरेली कैंट विधानसभा सीट इन दिनों हॉट सीट बनी हुई है. ऐसा होना भी लाजिमी है क्योंकि दिग्गजों की फौज की नजर इसी सीट पर जो है. फिर चाहे भाजपा के दिग्गज हों या किसी और दल के. कोई बैनर पोस्टर के माध्यम से दावेदारी जता रहा है तो कोई समाजसेवा की तस्वीरें फेसबुक पर अपलोड करके. लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जिनसे अपने इस अभियान का आगाज हरियाली का संदेश देकर किया है. जी हां हम बात कर रहे हैं पूर्व डिप्टी मेयर और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष डा. मो. खालिद की. वैसे तो डा. खालिद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं लेकिन इस चुनाव में वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. वह समाजसेवी संगठनों के माध्यम से सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने की जुगत में लग गए हैं. यही वजह है कि डा. खालिद ने रोटरी क्लब जैसी समाजसेवी संस्था के साथ हरियाली का संदेश देते हुए अपने चुनावी अभियान का आगाज कर दिया. उन्होंने रोटरी क्लब 8पीएम के पदाधिकारियों के साथ मिलकर कैंट विधानसभा क्षेत्र में पौधे लगाए. हरियाली के माध्यम से उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि जिस तरह से यह पौधा हरा भरा होकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएगा ठीक उसी तरह डा. खालिद भी राजनीति के प्रदूषण को खत्म करेंगे. जिस तरह उन्होंने अपने डिप्टी मेयर के कार्यकाल के दौरान साफ सुथरी राजनीति कर सिर्फ विकास पर फोकस किया था उसी तरह विधायक बनने के बाद भी वह एक साफ सुथरी और विकास आधारित राजनीति को आगे बढ़ाएंगे.
पौधरोपण के दौरान डा. खालिद के साथ शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी और नामी गिरामी चेहरे भी नजर आए. इनमें टीपीएस सेठी, जीपीएस सेठी, एसबी बिंद्रा, अनिल आनंद, एसबी सबरवाल, एसबी टोनी और शीरोज खान जैसी शख्सियतें शामिल हैं. दिलचस्प बात यह है कि समाजवादी पार्टी अभी भी ऐसा मुस्लिम चेहरा तलाश रही है जिनकी हिंदुओं और पंजाबी खत्री समाज में अच्छी पैठ हो ताकि वह भाजपा को मात दे सके. वहीं, डा. खालिद ने तो अपनी शुरुआत ही इस समाज के दिग्गज लोगों के साथ की है. अगर समाजवादी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करती है तो निश्चित तौर पर डा. खालिद इस गठबंधन का मजबूत चेहरा बन सकते हैं. पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी बीबीसी को दिए गए साक्षात्कार में अखिलेश यादव ने खुद स्पष्ट रूप से शिवपाल यादव की पार्टी के साथ गठबंधन करने की बात कही थी. अखिलेश के इस बयान के बाद से ही डा. खालिद ने अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी है. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के टिकट की आस लगाए बैठे नेता डा. खालिद के दमदार आगाज से परेशान हैं. इंजीनियर अनीस अहमद जैसे नेताओं को छोड़ दें तो सपा में कैंट सीट पर कोई भी ऐसा नेता नहीं है जो डा. खालिद के बराबर सियासी वजूद रखता हो. यही वजह है कि डा. खालिद की सक्रियता उन्हें परेशान कर रही है. डाक्टर खालिद पंजाबी खत्री समाज ही नहीं बल्कि हिन्दुओं में भी गहरी पैठ रखते हैं. अगर उन्हें मजबूत पार्टी का साथ मिल जाए तो उनकी जीत सुनिश्चित हो जाएगी.
इस संबंध में डा. खालिद का कहना है कि चाहे समाजवादी पार्टी से गठबंधन हो अथवा न हो पर किसी भी सूरत में जनविरोधी भाजपा को जीतने नहीं देंगे और चुनाव जरूर लड़ेंगे.
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