नीरज सिसौदिया, बरेली
बहुप्रतीक्षित अटल सेतु के उद्घाटन से आम जनता को भले ही राहत मिली हो मगर भाजपा के लिए इसका उद्घाटन समारोह मुश्किलें बढ़ाने वाला रहा. उद्घाटन समारोह से भाजपा के दोनों सांसद संतोष गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप ने दूरी बनाए रखी तो वहीं महानगर में कार्यक्रम होने के बावजूद महानगर अध्यक्ष डा. केएम अरोड़ा सहित कई प्रमुख पदाधिकारियों की अनुपस्थिति कई सवाल खड़े कर गई. सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात यह रही कि कभी समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष और सपा से ही सांसद रहे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुख्य महासचिव वीरपाल सिंह यादव को मुख्य अतिथि राजेश अग्रवाल के बगल वाली सीट पर विराजमान किया गया जबकि महापौर डा. उमेश गौतम को जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल के बाद वाली सीट पर बैठकर ही संतोष करना पड़ा. कार्यक्रम में भोजीपुरा विधायक बहोरन लाल मौर्य, मीरगंज विधायक डीसी वर्मा तो नजर आए मगर बिथरी विधायक राजेश मिश्र उर्फ पप्पू भरतौल, श्यामबिहारी लाल, धर्मपाल सिंह और विधायक छत्रपाल की गैरमौजूदगी भी कई सवाल खड़े कर गई. वहीं, भाजपा से बगावत करके राजेश अग्रवाल के खिलाफ बसपा से चुनाव लड़ने वाले व्यापारी नेता राजेंद्र गुप्ता भी कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराते नजर आए. महानगर के कार्यक्रम में भाजपा जिला अध्यक्ष पवन शर्मा तो मौजूद रहे मगर महानगर अध्यक्ष सहित पार्टी के कई प्रमुख पदाधिकारी नदारद नजर आए. पार्टी के दिग्गज नेताओं की गैर मौजूदगी समारोह में चर्चा का विषय बनी रही.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुख्य महासचिव को मंच पर भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल के बगल में जगह मिलना भाजपा नेताओं को रास नहीं आ रहा था. सियासी जानकारों का कहना है कि यह समारोह भारतीय जनता पार्टी की गुटबाजी का सबसे बड़ा उदाहरण पेश कर रहा है. पार्टी नेताओं का कहना है कि ऐसी क्या मजबूरी थी कि भाजपा के दो सांसद होने के बावजूद मंच पर मुख्य अतिथि के बगल वाली सीट पर विपक्षी पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद को बिठाना पड़ा? इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में आला नेताओं के खिलाफ रोष व्याप्त है. उनका कहना है कि जान-बूझ कर पार्टी में गुटबाजी को बढ़ावा दिया जा रहा है. चुनाव से पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में इस तरह की गतिविधि पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है.
बहरहाल, अटल सेतु के उद्घाटन समारोह में भले ही दिग्गजों की गैर मौजूदगी का कोई भी कारण रहा हो मगर पार्टी के भविष्य के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है. अगर पार्टी के जिम्मेदार नेता इसी तरह की लापरवाही भरे कदम उठाते रहे तो इसका खामियाजा आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को भुगतना पड़ सकता है.
सियासी जानकारों का कहना है कि यह सर्वविदित है कि वीरपाल सिंह यादव भाजपा विधायक के खिलाफ चुनाव लड़े थे और उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा था. वर्तमान में भी वह पप्पू भरतौल के प्रबल प्रतिद्वंदी हैं. यह सब जानते हुए भी भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने वीरपाल सिंह यादव को अपने बगल वाली सीट पर जगह दी. इससे पप्पू भरतौल के समर्थकों में भी रोष व्याप्त है.
वहीं, दूसरी ओर चर्चा यह भी है कि वीरपाल सिंह यादव अब तक समाजवादी पार्टी के साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के गठबंधन की राह देख रहे थे. वह गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन अब उन्हें इसकी उम्मीद नजर नहीं आ रही है जिस कारण वह दूसरे दल में सियासी जमीन तलाश रहे हैं. इसलिए वह राजेश अग्रवाल के साथ नजदीकियां बढ़ाने लगे हैं.
बहरहाल, अटल सेतु के कार्यक्रम से पार्टी के सांसदों और आला नेताओं द्वारा दूरी बनाने का मुद्दा दिनभर चर्चा का विषय बना रहा.