हर दिल में प्यार का
कारोबार चाहिये।
सबके अंदर महोब्बत
लगातार चाहिये।।
चाहिये अमन चैन सकूं
की ही बात।
हर हक़ का असली ही
हक़दार चाहिये।।
कर्तव्य निभायें तभी ही
अधिकार चाहिये।
पतझड़ नहीं हर बाग में
बहार चाहिये।।
चाहिये भावना सवेंदना
का ज्वार दिलों में।
हर व्यक्ति में मानवता का
संचार चाहिये।।
हर आदमी इंसानियत का
इश्तिहार चाहिये।
बस आपस में प्रेम भरा
व्यवहार चाहिये।।
चाहिये नैतिकता से हर
किसी का लगाव।
हर जीवन से दूर संकट
दुर्व्यवहार चाहिये।।
नफरत की हम सबको बस
हार चाहिये।
कभी न टूटे दिलों में वह
एतबार चाहिये।।
चाहिये दौलत प्यार की
बेशुमार हमको।
हर किसी का हर किसी से
सरोकार चाहिये।।
भरी हुई हर रिश्ते के बीच
दरार चाहिये।
एक छत तले रहता पूरा
परिवार चाहिये।।
चाहिये महोब्बत से लबरेज
संसार हमको।
स्वर्ग से भी सुंदर धरती का
श्रृंगार चाहिये।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस” बरेली