विचार

डॉ. नूपुर गोयल की कविताएं -2, मुलाकात को…

मुलाकात को तरसता है मन… लोगों से मुलाकात को, तरसता है मन, पर उनकी बातों के बाणों से, डरता है मन। जाने कौन-कौन से बाण चलाएंगे, जाने कौन-कौन से जख्म छेड़ जाएंगे। कहां पर छुपा के, रखते हैं बाणों को, जरूरत के मुताबिक, निकालते हैं बाणों को। कोई पुराने जख्मों को, गहरा है कर जाता, […]

यूपी

डॉ. नूपुर गोयल की कविताएं -1

एक दिया हूं मैं… मैं मशाल नहीं हूं तो न सही एक दिया बन के जलती रहूंगी मैं वक्त बदल न सकूं तो न सही मील का पत्थर तो बनती रहूंगी मैं. एक नई सोच की शुरुआत हूं मैं एक नए साज की आवाज हूं मैं, दूर तक जा न सकूं तो न सही जहां […]