जयपुर। सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रतिबंध लगाने के बावजूद अरावली की पहाड़ियों में जमकर अवैध खनन किया गया। पिछले 5 वर्षों में राजस्थान के 5 जिलों में 98.87 लाख मीट्रिक टन खनिज निकाला गया। इतना ही नहीं खनन विभाग की ओर से नियमों को ताक पर रखकर खनन के पट्टे आवंटित किए गए और रिन्यू भी किए गए। यह खुलासा राजस्थान विधानसभा में रखी गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में किया गया है।
बता दें कि राजस्थान में बड़ी मात्रा में कॉपर, जिंक रॉक फास्फेट, सोपस्टोन, सिलिका सैंड, लाइमस्टोन, मार्बल और जिप्सम पाए जाते हैं। इनमें से ज्यादातर खनिज अरावली रेंज में बहुतायत में मिलते हैं। 9 सुपरिटेंडेंट इंजीनियरिंग इंजीनियर ने रिकॉर्ड की जांच के बाद 5 जिलों अलवर जयपुर सीकर राजसमंद और उदयपुर में खनन की रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट के मुताबिक इन पांचों जिलों के खनन के दफ्तरों में अवैध खनन के 4072 केस वर्ष 2012 से वर्ष 2016 17 के बीच दर्ज किए गए। इन केसों पर कार्रवाई करते हुए 204.50 करोड रुपए की बजाय सिर्फ 25.57 करोड़ रुपए की ही रिकवरी की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि खनन विभाग की ओर से अवैध खनन के विरुद्ध कार्रवाई करने में घोर लापरवाही बरती गई है। किसने कहा गया है कि राजस्थान के खनन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया अरावली हिल्स में भी खनन की परमिशन दी गई और पट्टे रिन्यू किए गए। उन्होंने कहा परमिशन के अलावा भी बाहरी क्षेत्रों में भी अवैध खनन धड़ल्ले से किया गया है जिसके खिलाफ कोई भी गंभीर कदम सरकार की ओर से नहीं उठाया गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रदेश सरकार पर्यावरण व हेल्थ सेट के नाम पर जनता से एक बड़ी रकम वसूलती है इसकी राशि पर्यावरण नियंत्रण पर ही खर्च होनी चाहिए लेकिन यह राशि इस क्षेत्र में खर्च नहीं की गई।
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