नई दिल्ली, एजेंसी
गरिमा के साथ इच्छा मृत्यु को मौलिक अधिकार बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर मुहर लगा दी है. इसे संविधान के अनुच्छेद 21 में शामिल कर लिया है।
शुक्रवार को कॉमन कॉल एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने कहा कि गरिमा के साथ इच्छा मृत्यु सुप्रीम मौलिक अधिकार है। हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने और मरने का अधिकार है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु व लिविंग विल को कानूनन वैध ठहराया है। सरकार ने भी निष्क्रिय इच्छामृत्यु का समर्थन किया। पीठ ने यह भी कहा है कि जब तक सरकार इस दिशा में कोई कानून नहीं बना लेती है तब तक यही दिशा-निर्देश लागू रहेंगे।
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