झारखण्ड

टीटीपीएस के एमडी की रेस में सबसे आगे चल रहे शाह पर हैं कई गंभीर आरोप, डीवीसी विजिलेंस कर रही है जांच

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रामचंद्र कुमार अंजाना। बोकारो थर्मल
2015 से ही एक अदद मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) के लिए टीटीपीएस (तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन) तरस रहा है. रामअवतार साहू भी कार्यवाहक एमडी पद से ही टीटीपीएस को बाय-बाय कह दिए। लगातार पांचवी बार इंटरव्यू कैंसिल होने के बाद इस बार इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी हो पायी है। लेकिन तीन महीने से ज्यादा होने को है, एमडी की कुर्सी अभी तक खाली है। विभाग की तरफ से बताया जा रहा है कि मामला राज्यपाल के पास पड़ा हुआ है। इधर पुष्ट सूत्र के हवाले से खबर मिल रही है कि एमडी की रेस में तीन लोगों का नाम है, जिसमें सबसे आगे प्रद्यूमन प्रसाद साह (पीपी साह) चल रहे हैं। कई बार ऐसे मौके भी आए जिसमें कहा गया कि पीपी साह के नाम का नोटिफिकेशन हो गया है। लेकिन सच यह है कि मामला अभी भी राज्यपाल के पास ही है। किसी के नाम पर मुहर नहीं लगी है।

टीटीपीएस के एमडी की कुर्सी उसी को मिलनी है जो उर्जा विभाग के विजिलेंस परीक्षा को पास कर ले। उर्जा विभाग ने इंटरव्यू के बाद सभी सफल उम्मीदवारों की मौजूदा कंपनी से उम्मीदवार की रिपोर्ट मांगी है। उर्जा विभाग जिस उम्मीदवार की रिपोर्ट से संतुष्ट होगा उसे ही टीटीपीएस का एमडी बनाया जाएगा। इधर, चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन में एमपीसी इंचार्ज पीपी साह का नाम एमडी की रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है। लेकिन उनपर चंद्रपुरा और बोकारो थर्मल दोनों प्लांट में काम के दौरान वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे हैं। बोकारो थर्मल में पीपी साह एमएस वन के पद पर थे। पद पर रहते हुए उनपर लिमिटेड इन्क्वायरी पर मैटेरियल परचेज का आरोप लगा। जांच में यह बात सामने आयी कि उन्होंने एक ही कंपनी महावीर इंजीनियरिंग (कोलकाता की कंपनी) को 12 बार मैटेरियल्स सप्लाई का काम दे दिया। करीब 58 लाख का काम उन्होंने एक ही कंपनी को दे दिया। इतना ही नहीं उनपर यह भी आरोप है कि उन्होंने डीवीसी की शेड्यूल रेट से 9-10 फीसदी ज्यादा रेट पर मटेरियल्स की सप्लाई करायी। आरोप यह भी लगा कि जिन मटेरियल्स की सप्लाई उन्होंने की वो बोकारो थर्मल पावर स्टेशन में स्क्रैप के रूप में पड़ा हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीवीसी डीवीसी, कोलकाता ने पूरी फाईल कोलकाता जांच के लिए मंगा ली है।
क्या है लिमिटेड इन्क्वायरी, कैसे हुआ खेल
मेटेरियल सप्लाई के लिए किसी भी कंपनी की तरफ से टेंडर निकाला जाता है. लेकिन बोकारो थर्मल पावर स्टेशन में पीपी साह ने एमएस वन पद पर रहते हुए ऐसा नहीं किया. उन्होंने लिमिटेड इन्क्वायरी करा कर सारा काम महावीर इंजीनियरिंग को दे दिया. लिमिटेड इन्क्वायरी में कुछ कंपनियों को सप्लाई का काम करने के लिए बुलाया गया। उनमें से एक कंपनी को बाकी कंपनी को मैनेज करने को कह दिया गया। जिस कंपनी को काम लेना था, उसने बाकी कंपनी को मैनेज करते हुए सारा काम ऊंचे दर पर खुद ले लिया। इतना ही नहीं वैसे मटेरिल्यस मंगाए गए, जिसकी जरूरत कंपनी को थी ही नहीं। सभी मटेरियल्स अब स्क्रैप में पड़े हुए हैं।
सीटीपीएस में भेजे गए सेंटिंग पोस्ट पर-चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन (सीटीपीएस) में उनका तबादला हुआ. उन्होंने डिप्टी चीफ मैकनिकल पोस्ट पर ज्वाइन किया। लेकिन डीवीसी के चंद्रपुरा पावर प्लांट में ट्रक निविदा मामले में पीपी साह पर गंभीर आरोप लगे। निविदा के एक साल पूरा होने के बाद डीवीसी के अधिकारियों ने एक सप्ताह के दौरान दो अलग-अलग आदेश पारित किये। 10 सितंबर 2016 को निविदा-00008/620 के तहत दो वर्ष के लिए दुगदा के विशाल ट्रांसपोर्ट से 19 लाख रुपये की लागत से झारखंड और बंगाल के लिए संविदा पर ट्रक लिया गया था। ट्रांसपोर्ट के ट्रक नंबर-जेएच 09 एडी-2634 को प्रतिमाह ढ़ाई सौ किलोमीटर रनिंग करना था। डीवीसी प्रबंधन ने नौ माह तक ट्रक चलाये जाने के बाद एक नोट शीट के आधार पर उक्त ट्रक को बंद कर डीवीसी के ही ट्रक को चलाने की बात कही। लेकिन दोबारा फिर से ट्रक के लिए टेंडर निकाल दिया गया। नोट शीट पर प्रोजेक्ट हेड, डिप्टी चीफ मैकनिकल पीपी साह, अधीक्षण अभियंता गोपिल चैधरी, कार्यपालक अभियंता हेमंत कुमार और वरीय प्रबंधक वित्त ने हस्ताक्षर किये थे। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रोजेक्ट हेड ने जांच के आदेश दिए। बाद में मामले से जुड़ी सारी फाईल जब्त कर विजलेंस कोलकाता के अधिकारी अपने साथ जांच के लिए ले गए। उसके बाद पीपी साह पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सेंटिंग पोस्ट एमपीसी का इंचार्ज बना दिया गया।

कुछ लोग नहीं चाहते कि झारखंड में पावर सप्लाई सुधरेः पीपी साह
बीटीपीएस के मामले में जिस तरह के आरोप मुझपर लगाए जा रहे हैं। वो सरासर गलत है। कुछ शरारती तत्व हैं जो इस तरह की बातों को फैलाने का काम कर रहे हैं। मैं एक व्हिसल ब्लोअर रहा हूं। निगम में कई अहम मुद्दों का पर्दाफाश किया है। जिसकी सजा मुझे मिल रही है। मैंने निगम के लिए काफी कुछ काम किया है। दरअसल लोग नहीं चाहते हैं कि झारखंड में पावर सप्लायी की व्यवस्था सुधरे। इसलिए मुझे रोकने का काम किया जा रहा है। सीटीपीएस में जो आरोप मुझपर लगाए गए हैं, वो गलत है। मैं तो बीच का अधिकारी हूं. मेरे कहने से कुछ नहीं हुआ है। जो भी हुआ है वो न्यायसंगत हुआ है. कुछ लोग यहां 16 साल से सेंसेटिव पोस्ट पर बैठे हुए हैं। उनकी आंख की किरकिरी मैं बना हुआ हूं। क्योंकि मेरा काम भ्रष्टाचार से लड़ना है। ट्रक टेंडर के मामले में कॉस्ट डिडक्शन किया गया है और कुछ नहीं।

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