रायपुर। वनों का रकबा घटने के चलते वहां रहने वाले बंदरों ने शहर का रुख कर लिया है। यही वजह है कि ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी आबादी भी बंदरों के आतंक से खासी परेशान है। अब तक बंदरों पर हमला करने वालों पर पशु अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाता था लेकिन अब छत्तीसगढ़ सरकार ने बंदरों के काटने पर मुआवजा देने का प्रावधान कर दिया है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में बंदरों का आतंक बहुत तेजी से बढ़ रहा है। कुछ लोगों की तो बंदरों के काटने के चलते मौत भी हो चुकी है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में बंदरों के काटने पर मुआवजा देने के छत्तीसगढ़ सरकार के ऐलान को वोट बैंक से भी जोड़कर देखा जा रहा है। प्रदेश सरकार ने ऐलान किया है कि अगर किसी व्यक्ति की बंदरों के काटने से मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को 4 लाख 78 हजार रुपए सरकार की ओर से बतौर मुआवजा दिया जाएगा. वही बंदर के काटने से घायल होने वाले को ₹59000 बतौर मुआवजा दिए जाएंगे. इतना ही नहीं अगर बंदर किसी के मवेशियों को नुकसान पहुंचाता है तो उन मवेशियों को पालने वाले मालिक को भी ₹30000 मुआवजा राशि वन विभाग की ओर से देने का प्रावधान किया गया है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के अलावा उत्तराखंड हिमाचल और विभिन्न पहाड़ी प्रदेश के ग्रामीण भी बंदरों के आतंक से खासा दुखी हैं लेकिन वहां पर मुआवजे का कोई प्रावधान फिलहाल नहीं है।
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