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मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टों पर लगा ग्रहण, स्मार्ट सिटी समेत छह बड़े प्रोजेक्ट फेल

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
देश में मोदी शासन के 4 साल खत्म होने को हैं। बड़े-बड़े सपनों के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने उन सपनों को साकार करने का प्रयास तो किया लेकिन व्यवस्था की खामियों ने योजनाओं को परवान नहीं चढ़ने दिया। यही वजह है कि मोदी सरकार के 6 मेगा प्रोजेक्टों पर ग्रहण लग गया है। स्मार्ट सिटी समेत यह प्रोजेक्ट अपनी वास्तविक उद्देश्य से कहीं भटक गए हैं। वही कछुआ चाल से चल रही इन प्रोजेक्टों की प्रगति न्यू विकास के दावों पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं।
बता दें कि मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, स्वच्छ भारत मिशन, अटल मिशन फॉर रेजुवेनशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमरूत), प्रधानमंत्री आवास योजना दीनदयाल अंत्योदय योजना और हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑगमेंटेशन योजना शुरू की थी। इन योजनाओं के लिए कई हजार करोड़ रुपए की राशि भी रिलीज की गई लेकिन धरातल पर सिर्फ 21 फ़ीसदी धनराशि ही खर्च की जा सकी है।
शहरी विकास की संसदीय समिति की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार के टॉप सिक्स प्रोजेक्टों पर औसतन 21 फ़ीसदी राशि ही खर्च की जा सकी है। रिपोर्ट के मुताबिक इन 6 मेगा प्रोजेक्ट के लिए लगभग 36.5 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए जिसमें से सिर्फ 7.8 हजार करोड़ रुपए ही खर्च किए गए हैं। कमेटी के मुताबिक इस नाकामी के पीछे सबसे बड़ा कारण मंत्रालय के पास प्रॉपर प्लानिंग का अभाव था जिस कारण इस पर अमल नहीं हो सका।
बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन के लिए लगभग 5.8 हजार करोड़ रुपए रिलीज किए गए जिनमें से 2.2 हजार करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। इस मिशन का उद्देश्य भारत को खुला शौच मुक्त बनाना और गंदगी को खत्म करना था। दोनों ही उद्देश्य पूरे नहीं हो सके।
मोदी सरकार का दूसरा ड्रीम प्रोजेक्ट देशभर के 100 शहरों को डेवलप करके स्मार्ट सिटी बनाना था। यह योजना भी परवान नहीं चढ़ सकी। केंद्र सरकार की ओर से स्मार्ट सिटी के लिए 9.7 हजार करोड़ रुपए रिलीज किए गए लेकिन इसमें से 182 करोड़ रुपए ही खर्च किए जा सके हैं। जालंधर जैसे कुछ शहर तो ऐसे हैं जहां स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट एक कदम भी आगे नहीं पढ़ सका है।
मोदी सरकार की तीसरी प्रमुख योजना अटल मिशन फॉर रीजुवेनेशन अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य देशभर के शहरों में में वाटर सीवर और ड्रेनेज से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना था। इस प्रोजेक्ट के तहत 8.4 हजार करोड़ रुपए रिलीज किए गए जिसमें से महज 2.4 हजार करोड़ रुपए ही खर्च किए जा सके हैं।
ग्रामीण इलाकों की गरीबों को अपना घर दिलाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना भी कछुआ चाल से चल रही है। इसके लिए सरकार की ओर से कुल 9.7 हजार करोड़ रुपए रिलीज किए गए लेकिन इस में से सिर्फ 2000 करोड़ रुपए ही खर्च किए जा सके हैं। इसके बाद बारी आती है गरीब युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने वाली दीनदयाल अंत्योदय योजना की। इस योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से लगभग डेढ़ हजार करोड़ रुपए रिलीज किए गए लेकिन इनमें से सिर्फ 839 करोड़ रुपए ही खर्च किए जा सके हैं।
छठी योजना हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑगमेंटेशन योजना है। इस योजना के तहत देश के सभी विरासत इस शहरों में ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने का उद्देश्य था। इसके लिए सरकार की ओर से 248 करोड़ रुपए रिलीज किए गए लेकिन इस में से सिर्फ 32.6 करोड़ों रुपए ही खर्च किए जा सके हैं।
हालांकि, केंद्र सरकार ने संसदीय समिति की इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए गलत करार दिया है लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट कर कहा कि बात नियत की है। मोदी सरकार की नियत क्या काम करने की थी या केवल मीडिया में शोर करने की। एक तरफ केंद्र सरकार काम कम और प्रचार ज्यादा करती है तो दूसरी तरफ दिल्ली सरकार काम ज्यादा और प्रचार कम करती है।

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