नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के बाद Exit polls के जो नतीजे सामने आ रहे हैं वह भले ही दोनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाते दिखाई दे रहे हैं लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों के भविष्य के लिए यह अच्छे संकेत नहीं कहे जा सकते|
महाराष्ट्र में जहां एक exit polls में भाजपा का वोट परसेंटेज वर्ष 2014 के मुकाबले इस बार 6 फ़ीसदी कम दर्शाए गए हैं. वहीं, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी अपने चुनावी लक्ष्य तक पहुंचती नजर नहीं आ रही है|
हालांकि, हरियाणा में कुछ exit polls भारतीय जनता पार्टी को 60 से 65 सीटें भी दिलाते नजर आ रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर एनसीपी और कांग्रेस की बगावत के बावजूद उनकी सीटों में कमी नहीं होना भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंताजनक है| जिस तरह से बीजेपी का वोट परसेंटेज महाराष्ट्र में कम हुआ है उसका असर दिल्ली के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है| हालांकि, दोनों राज्यों में भाजपा सरकार बनाती नजर आ रही है लेकिन दिल्ली के नतीजे क्या कहेंगे, यह आने वाला वक्त ही बताएगा|
इसके अलावा कांग्रेस को भी अपनी इस संभावित हार पर मंथन करना होगा| कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह जो खुलकर सामने आई है वह पार्टी की अंदरूनी कलह है| जिसका फायदा सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी को मिला| हरियाणा में ऐन वक्त पर प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को जिस तरह से पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया उसने भी कांग्रेस की लुटिया डुबोने का काम किया है| कांग्रेस नेताओं की बगावत और पार्टी में बिखराव के हालात के चलते ही अनुकूल माहौल होने के बावजूद कांग्रेस महाराष्ट्र और हरियाणा को गंवा बैठी| सबसे बुरा हाल तो जजपा और इनेलो का होता नजर आ रहा है| इनेलो में बंटवारे के बाद उसकी ताकत और कम हो गई है|
बहरहाल भारतीय जनता पार्टी के लिए यह संकेत है कि अगर निकट भविष्य में उसने सबक नहीं लिया तो आगामी दिनों में विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में उसका तख्तापलट भी हो सकता है| इसलिए बेहतर यही होगा कि जीत का जश्न मनाने के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी उन कमियों को भी ढूंढ कर दूर करने का प्रयास करें जिसके चलते वह अपने निर्धारित लक्ष्य से पीछे रही है|
भारतीय जनता पार्टी को यह नहीं भूलना चाहिए कि यह पब्लिक है जो कभी सिर आंखों पर बिठाती है तो कभी मिट्टी में भी मिला देती है| अगर भारतीय जनता पार्टी के आला नेता यह चाहते हैं कि पार्टी की हालत कांग्रेस की तरह ना हो तो उन्हें वर्तमान में जनहित के फैसलों पर ज्यादा ध्यान देना होगा ना कि हिंदू मुस्लिम और मंदिर मस्जिद जैसे मुद्दों को हवा दे| साथ ही रोजगार की दिशा में सार्थक पहल करे.