प्राइवेट स्कूलों ने मना किया 134 ए में एडमिशन के लिए
कुरुक्षेत्र (ओहरी )
आज के समय में प्राइवेट स्कूल केवल पैसा कमाने का जरिया बन चुके हैं। हजारों रुपए फीस ले कर भी स्कूल बच्चों को पूरी सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं। एडमिशन के समय हर साल एडमिशन फीस , डेवलपमेंट फीस के नाम पर पैसे वसूले जाते हैं। अब तो जब सरकार ने ज्यादा फीस ना बढ़ाने का नोटिस निकाला तो स्कूल फीस में 10 % बड़ोतरी करने के साथ स्कूल प्रशाशन ने एक्टिविटी फीस के नाम से 200 -500 रुपए हर महीने लेने लगे हैं जब की जब भी एक्टिविटी करवाते हैं सामान बच्चों से ही मंगवाते हैं। पेरेंट्स कहते हैं बच्चों को पढ़ाना है शिकायत करेंगे तो स्कूल वाले बच्चे को तंग करेंगे। सुविधाओं के नाम पर कई स्कूल जीरो हैं। ज्योति नगर स्थित एक प्राइवेट स्कूल में जब जा कर देखा तो जांचा की यहाँ फीस तो अच्छी ले रहे थे पर सुविधाएँ ना के बराबर थीं । टॉयलेट्स साफ़ नहीं थे , पीने के पानी , आदि की भी प्रॉब्लम थी । सूत्रों के अनुसार इस स्कूल की सभी पुरानी अध्यापिकाएं स्कूल प्रशाशन के गलत व्यवहार के कारण त्यागपत्र दे कर जा चुकी हैं और स्कूल में अब सुविधाओं के साथ साथ पढ़ाई का लेवल भी गिर गया है जबकि फीस हर साल बड़ा देते हैं। पुस्तकें , वर्दी सभी स्कूल की निर्धारित की हुई दुकानों से ही लेनी होती हैं। ये एक स्कूल का नहीं बल्कि कई छोटे बड़े स्कूलों का हाल है।
दूसरी तरफ अब जब 134 ए का रिजल्ट आ गया है और बच्चों को स्कूल अलॉट हो गए हैं तब स्कूल वाले इन बच्चों को एडमिशन देने से मना कर रहे हैं की सरकार ने उनके पिछले 3 वर्षों की फीस का भुगतान नहीं किआ है इस लिए हम एडमिशन नहीं देंगे। अब सवाल ये उठता है की क्या इन वच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा। प्राइवेट स्कूल क्या लूट ही करेंगे सरकार ने अगर एक योजना चलाई है तो जब सरकार से अनुदान लेते हैं तो सरकार की योजना में साथ नहीं दे सकते। सरकारी स्कूलों में सरकार अध्यापकों को वेतन तो बहुत अच्छे देती हैं पर सुविधाएं और पढ़ाई का स्तर नहीं है। अब अगर प्राइवेट स्कूल भी इन्हे एडमिशन नहीं देंगे तो गरीब बच्चों का बड़े स्कूलों में पड़ने सपना सपना ही रह जाएगा।
अगर हम इस का दूसरा पहलु देखें तो सरकार आज शिक्षा का स्तर उठाने में पूरा ध्यान दे रही है। लड़कियों की शिक्षा फ्री के बराबर है पर अगर सरकार सरकारी स्कूलों में जो अध्यापक लगें हुए हैं उन से पूरा काम ले और उन के रिजल्ट कम आने पर उन्हें फाइन करे , हर 5 साल में उनका नॉलेज टेस्ट ले कर उनका अग्ग्रिमेंट रिन्यू करे, सरकारी एम्प्लाइज चाहे किसी भी लेवल का हो के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने का नियम बना दे तो सरकारी स्कूलों में भी प्राइवेट जैसी शिक्षा सत्तर और वातावरण बन जायेगा। चंडीगढ़ के सरकारी स्कूल इस का जीता जगता उद्धरण हैं तो सरकार को प्राइवेट स्कूल्ज में बच्चों का एडमिशन करवाने की जरुरत ही पड़ेगी बल्कि प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी सरकारी की तरफ जायेंगे बस जरुरत है तो एक कदम की।