पंजाब

पहली बार जालंधर को मिला है इतना लाचार ‘कठपुतली मेयर’

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नीरज सिसौदिया
नगर निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई मेयर इतना लाचार हो गया है कि उसे किसी भी विधायक के इलाके में समस्याओं का जायजा लेने से पहले विधायक की परमिशन लेनी पड़े। हाल ही में जालंधर के महापौर जगदीश राज राजा का एक ऑडियो वायरल हुआ है जिसमें युवा राष्ट्र निर्माण वाहिनी के अध्यक्ष सुशील तिवारी उनसे बेअंत सिंह पार्क की बदहाल स्थिति का जायजा लेने की अपील कर रहे हैं तो मेयर राजा उनसे यह कहते नजर आ रहे हैं कि बिना विधायक बाबा हेनरी की परमिशन के वह जायजा लेने नहीं आएंगे। साथ ही राजा यह भी कहते सुनाई दे रहे हैं ‘आपको मेरी बात का गुस्सा जरूर लग रहा होगा लेकिन आप मेरी भी मजबूरी समझो वह इलाका विधायक बावा हेनरी का है।’ इस ऑडियो के वायरल होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या मेयर जगदीश राज राजा सिर्फ विधायकों के हाथों की कठपुतली है? क्या मेयर पद की गंभीरता और उसकी शक्तियों का इस्तेमाल राजा बिना विधायक की परमिशन के नहीं कर सकते? क्या राजा को मेयर की कुर्सी पर सिर्फ इसीलिए बैठाया गया था कि वह विधायकों की जी हुजूरी करते रहें? आइए बताते हैं कि राजा मेयर की कुर्सी पर कैसे बैठ पाये हैं और क्यों वह इतनी लाचार हो गए हैं?
दरअसल, राजा अपने दो दशक से भी अधिक के करियर में पहली बार नगर निगम के किसी पद पर काबिज हुए हैं। इसके लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी है। राजा एक सुलझे हुए राजनेता थे, विपक्ष में रहते हुए उन्होंने एक सशक्त नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई थी। मेयर सुनील ज्योति के अंतिम दिनों के कार्यकाल में तो नगर निगम के कर्मचारी राजा को मेयर साहब, मेयर साहब तक कहने लगे थे। लेकिन राजा जानते थे कि उनकी राह आसान नहीं है। यही वजह है कि राजा गत विधानसभा चुनाव से पहले ही अपनी लॉबी मजबूत करने में जुट गए थे। कांग्रेस में जब राजकुमार गुप्ता को विधायकी के लिए टिकट दिया तो राजा अपने समर्थक कांग्रेस पार्षदों के साथ खुलेआम विरोध पर उतर आए और बावा हेनरी को टिकट देने की वकालत की। कुछ ऐसा ही उन्होंने राजेंद्र बेरी के लिए भी किया था। इसी वफादारी के इनाम के रूप में उन्हें मेयर का पद मिला और बलराज ठाकुर जैसे इंटेलिजेंट और सुलझे हुए राजनेता को दरकिनार कर दिया गया। मेयर बनने के बाद राजा के तेवर गुलामों वाले हो गए। वैसे तो यह चर्चा कांग्रेस नेताओं और पार्षदों में पहले से ही चल रही थी। सूत्र बताते हैं कि निर्मल सिंह निम्मा, डॉक्टर प्रदीप राय, विपिन कुमार, तरसेम सिंह लखोत्रा जैसे राजा के पुराने सिपहसालार भी उनसे खफा हो गए। लेकिन क्योंकि राजा के सिर पर विधायक बाबा हेनरी का हाथ है इसलिए वह खुलेआम उनका विरोध नहीं कर पा रहे।
सूत्र बताते हैं कि बावा हेनरी के समर्थकों को इन दिनों अवैध निर्माण से लेकर अवैध कॉलोनियां काटने तक की पूरी छूट राजा की ओर से दी जा रही है। ताजा उदाहरण अर्जुन नगर का है। जैमल नगर के पास पड़ते अर्जुन नगर में एक पार्षद की ओर से खुलेआम अवैध कॉलोनी काटी जा रही है। यह पार्षद बावा हेनरी का काफी करीबी माना जाता है। कॉलोनी की शिकायत भी राजा तक पहुंची लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि कांग्रेस पार्षद भी अगर कोई काम करवाने के लिए राजा के पास जाते हैं तू राजा उनसे भी पहले विधायक बावा हेनरी का फ़ोन करवाने को कहते हैं। एक कांग्रेस पार्षद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, लोकल लीडर उनके साथ चलेंगे जरूर लेकिन उनके लिए काम नहीं करेंगे। साथ ही उसने यह भी कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में बावा हेनरी को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उनका कहना है कि राज्य में अभी कांग्रेस की सरकार है इसलिए कोई भी कांग्रेस नेता खुलकर बावा हेनरी या राजा का विरोध नहीं कर सकता लेकिन अंदरखाते इन दोनों नेताओं के खिलाफ विरोध तेज हो चुका है। कारण चाहे कुछ भी हो मगर राजा फिलहाल अपनी शक्तियों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं जो जालंधर शहर के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

जय किशन सैनी से लेकर सुनील ज्योति तक कोई नहीं था इतना लाचार
विधायकों के आगे जिस कदर जगदीश राव राजा मेयर बनने के बाद भी लाचार नजर आ रहे हैं इतना लाचार अब तक जालंधर का कोई भी मेयर नहीं रहा। बात चाहे जयकिशन सैनी की हो, सुरेश सहगल की हो, राकेश राठौर की हो या फिर पूर्व मेयर सुनील ज्योति की, राजा जैसी लाचारी किसी भी मेयर पर नजर नहीं आई। ऐसा नहीं है कि इन सभी मेयर ने अपने विधायकों का सम्मान नहीं किया. सबने विधायकों को सम्मान जरूर दिया लेकिन उनके हाथों की कठपुतली नहीं बने। किसी भी विधायक के इलाके में जाने से पहले उन्हें विधायक की परमिशन लेने की जरूरत नहीं पड़ती थी। बात अगर सुरभि ज्योति की करें तो उन्होंने जो भी फैसले लिए अपने दम पर लिए और उन पर अमल भी किया। कई बार उन पर मनमानी करने के आरोप भी लगे लेकिन उन्होंने वही किया जो उन्हें सही लगा। जाते-जाते सुनील ज्योति जालंधर शहर के लिए लगभग 3000 करोड़ की विकास योजनाओं का खाका भी देकर गए लेकिन राजा उन प्रोजेक्टों पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सके।

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