कुरुक्षेत्र (ओहरी )
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग की प्रथम व द्वितीय वर्ष की छात्राओं के द्वारा एनजीओ चेतना में दो नाटिका प्रस्तुत की गई। इन नाटिकाओं में माहवारी नहीं है बीमारी, यही सोच बदलनी है तुम्हारी व विकलांगता एक अभिशाप नहीं रहा, विषय पर नुक्कड प्रस्तुति दी गई।
पहली नुक्कड़ नाटिका के माध्यम से नौजवान बालिकाओं व उनकी माताओं को जागरूक करने का प्रयास किया गया। इस नाटिका द्वारा द्वितीय वर्ष की एमएससी मानव विकास की छात्राओं ने महावारी के दौरान भेदभाव, साफ-सफाई व अनेक गलत धारणाओं के बारे में लोगों को बताया। इसके प्रति जो पुरुषों की सोच है, उसे भी सही मार्गदर्शन देने की कोशिश की गई। इस नाटिका के द्वारा माहवारी के दौरान लड़कियों की मनोस्थिति का भी चित्रण किया गया। एक वीडियों के द्वासरा लोगों की रूढि़वादी सोच को भी बदलने की चेष्टा की गई। इस अवसर पर मौजूद गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तरविन्द्र जीत कौर, शिवानी ने लड़कियों की कई शंकाओं का समाधान किया। डॉ. तरविन्द्र जीत ने उन्हें इसे एक गलती मानने से इंकार करते हुए कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसके दौरान हमें अपनी दिनचर्या में बदलाव नहीं लाना चाहिए। साथ ही हमें अपनी साफ-सफाई व सेहत को भी बनाए रखना है, जिससे हम बहुत-सी बीमारियों से मुक्त रह सकते हैं।
दूसरी नुक्कड़ नाटिका में प्रथम वर्ष की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत की गई। इस नाटिका के विषय विकलांगता एक अभिशाप नहीं, नाटिका के द्वारा छात्राओं ने दिखाया कि अशक्त लोग समाज के हर कार्य में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले सकते हैं तथा वे न ही सहानुभूति तथा उपहास के पात्र होते हैं। ऐसे लोगों में यदि भगवान कोई कमी देता है तो कोई न कोई विशेषता भी इनमें मौजूद होती है।
इस अवसर पर विभागाध्यक्षा प्रो. तरविन्द्र कौर व शिक्षिका शिवानी ने बच्चों को समझाया की हमें बच्चों में भेदभाव नहीं करना चाहिए व इनको अपने आप में सशक्त बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इन दोनों नुक्कड़ नाटिकाओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। उन्होंने बड़े उत्साह से इन नाटिकाओं को देखा और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। इस अवसर विभाग के अन्य अध्यापकगण सुमन, डॉ. निधि, डॉ. अनु ने भी अपना योगदान दिया।