आज़ाद इदरीसी, हसनपुर
अलविदा की नमाज को लेकर रोजेदारों में संशय बना हुआ है। ऐसे में आज आठ जून शुक्रवार को जुमे पर अलविदा की नमाज पढ़ी गई। जामा मस्जिद के इमाम हाफिज अकील अख्तर ने बयान करते हुए बताये की अलविदा जुमा को पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद (स.अ.व) ने अलविदा-अलविदा मिन शहरे रमजान का खुतबा दिया था। इसलिए आज भी मस्जिदों के इमाम अलविदाई खुतबा पढ़ते हैं। इस पाक महीने के आखिरी जुमा को अलविदा जुमा कहा जाता है। अलविदा का मतलब है किसी चीज का रुखसत होना। …यानी रमजान हमसे रुखसत हो रहा है। इस मौके पर जुमे में अल्लाह से खास दुआ की जाती है कि आने वाला रमजान हम सब को नसीब फरमाए, उन्होंने ने बताया कि 29 वें रोजे के दिन अगर चांद का दीदार होता है तो उसके अगले दिन जुमे 15 जून को ईद मनाई जाएगी। अगर 30 वें रोजे को चांद का दीदार होता है तो अलविदा की नमाज जुमे के दिन पढ़ी जाएगी। यही वजह है कि आज भी अलविदा की नमाज पढ़ी गई ।
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बताते चले कि प्रखंड के बिभिन्न गाँवो के मस्जिदों में अलविदा की नमाज पढ़ी गई जिसमे हसनपुर के जामा मस्जिद , शासन मस्जिद, बहत्तर, सपरी,सिरसिया, हसनपुर गांव,कनुआकोठी ,रामपुर, कोकनी, मौजी, सुरहा, पिरोना, दुधपुरा, सकरपुरा, मुर्राहा, आदि गांवों की मस्जिदों में अलविदा की नमाज पढ़ी गई।