रमज़ानुल मुबारक हमदर्दी, गमख़ारी, दया, मदद और अयानत का खास महीना है, रमज़ानुल मुबारक का यह ख़ास महीना विदा और जुदा होते हुए रोज़ेदार को यह बता रहा है कि मेरे जाने के बाद समाज के इस विभाग को जिंदा और जारी रखना जिससे आप और आपके समाज को फायदा हासिल हो और आपका समाज हर उस बेकार काम से नफरत करे जिस तरह रोजे की हालत में हलाल चीज को भी अपने रब (प्रभु) को राजी ख़ुशी रखने के लिए ह़लक़ के नीचे कुछ नहीं उतारते थे।
गरीब, मिस्क़ीन, यतीम, लाचार और अनाथ जिसको अल्लाह ने आपकी भलाई के लिए मोहताज बनाया है इसकी देखभाल करना, भेदभाव को खत्म करके हर मज़हब के मानने वाले तमाम इंसानों के साथ भाईचारगी और बराबरी का मामला करना, वर्तमान बेरोज़गारी और महंगाई ने जिन लोगों को आर्थिक तंगी के जाल में फंसा लिया है लेकिन वह किसी के सामने अपना हाथ फैलाने दस्ते सवाल करने में शर्म महसूस करते हैं ऐसे लोगों पर खास खयाल रखना रोजे का अहम अभ्यास और संदेश है।
रोज़ा यह सिखाता है के जिस तरह तुम रोज़े की ह़ालत में अपने नफ्स और आत्मा को कंट्रोल कर के पूरे एक महीना खूबसूरत तरीके से गुजारा है मेरे जाने के बाद भी ठीक इसी तरह पुरे 11(ग्यारह) महीने अपने नफ्स के नाजाएज़ इच्छा को ख़त्म करके शरीयत के अनुसार चलते रहना, मिजाज में नरमी और हमदर्दी का जज्बा खुदा के सभी प्राणियों पर, इंसान हो या जानवर मुसलमान हो या ग़ैर मुसलमान इसके साथ अच्छा स्वभाव करना हमारी स्वीकृति की पहचान है।
उपवास का मुख्य संदेश मानवता का नाम है।
– मो. इक़बाल कमर
अल-कलम पब्लिक स्कूल
पूरब टोला रामपुर,जमालपुर, गोगरी (खगड़िया)