तेरे पाप पुण्य की लिख रहा
कोई किताब है।
समय पर करना उसको
तेरा हिसाब है।।
कर्म कुकर्म सब जाते हैं
तेरे खाते में।
पाता वैसा ही तू कोई यहाँ
पर खिताब है।।
तू महोब्बत की तलाश में
जिंदगी गुजार दे।
किसीके भले की अभिलाष में
जीवन संवार दे।।
यह जीवन मिला है सद्भाव
सत्कर्म के लिए।
सबसे सहयोग प्रेम की आस में
जिंदगी बिसार दे।।
शिद्दत से चलता रहे तू मंजिल
की तरफ़ को।
एक ही भाव से पढ़ सुख दुःख
के हर हरफ़ को।।
जिंदगी की किताब में फूल भी
काँटे भी होते हैं।
निभा तू फ़र्ज़ पढ़ कर हर इक
वरक़ को।।
हाथ की लकीरों में कर्म का रंग
हमको भरना है।
यह जीवन तभी जीवन जब यह
प्यार का झरना है।।
प्रभु का अनमोल उपहार है
हमारी जिंदगी।
हमको ईश्वर का यह कर्ज़
पूरा करना है।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस”