विचार

जय जय -जय जय होली है…

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मत करना अफसोस जरा भी,

ले ली थोड़ी गोली है ।
बड़े प्रेम से मिलकर बोलो,
जय जय -जय जय होली है ।।

एक बरस में एक बार ही
छेड़छाड़ होती जमकर ।
जीजा – साली , देवर – भाभो,
की बातें होती दर दर ।।
कर ना पाया छेड़छाड़ जो,
उसकी खाली झोली है ।।
जयजय….

पहले पीला फिर नीला रंग,
फिर काला कर डाला है ।
फिर पानी ,फिर मिट्टी ,कीचड़,
क्या क्या क्या कर डाला है ।।
कपड़े तार – तार कर डाले,
ये नंगों की टोली है ।।
जय जय……

रंग की बौछारें सह पाओ,
तो घर से बाहर आना ,
लीपापोती का मन हो तो,
किसी जगह तब ही जाना ।।
ना गाली ना करो लड़ाई ,
वश में रखना बोली है ।।
जय जय…..

– इंद्रदेव त्रिवेदी, 214, बिहारीपुर खत्रियान, बरेली, उत्तर प्रदेश

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