विचार

नेता का यही गुण है…

Share now

*।।रचना शीर्षक।।*
कभी शोला कभी शबनम
नेता का यही गुण है।
सुबह प्रसाद रात में रम
नेता का यही गुण है।।
कथनी करनी के अंतर
का उदाहरण है नेता।
पैसे की बरसात झमाझम
नेता का यही गुण है।।
कभी नरम और कभी गरम
नेता का यही गुण है।
कब क्यों कैसे आँखें नम
नेता का यही गुण है।।
नेता खुद नहीं कह पाता कि
आगे क्या करेगा वह।
हर बार दिखाना अपना दम
नेता का यही गुण है।।
मैं शब्द ऊपर, नहीं शब्द हम
नेता का यही गुण है।
मैं किसी से नहीं हूँ कम
नेता का यही गुण है।।
चोट से वोटऔर वोट से चोट
यह काम है रोज़ का।
कभी करते नहीं कोई शरम
नेता का यही गुण है।।
कभी हमराज़ कभी हमदम
नेता का यही गुण है।
कभी जनता को कर दे बेदम
नेता का यही गुण है।।
कितने चेहरे और कितने रंग
उसको भी मालूम नहीं।
कब किस पे क्यों रहमोकरम
नेता का यही गुण है।।
कभी दुश्मनऔर कभी सनम
नेता का यही गुण है।
गिरगिट सा रंग बदले हरदम
नेता का यही गुण है।।
आग पर रोटी ,रोटी पर आग
जैसी समय की मांग हो।
करे दुनिया का हर करम
नेता का यही गुण है।।

एस के कपूर “श्री हंस”
मो. 9897071046
8218685464

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *