विचार

साहित्य की बात : पिता थे विधायक पर बेटे को सियासत नहीं थी स्वीकार, बन गए साहित्यकार, कुछ ऐसी ही शख्सियत हैं बरेली के रजत कुमार

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सियासत अगर विरासत में मिले तो सफलता की गारंटी दोगुनी हो जाती है. खास तौर पर तब जबकि पिता खुद विधायक या सांसद रहे हों मगर एक शख्सियत ऐसी भी है जिसके पिता विधायक थे लेकिन उस शख्स ने राजनीति की जगह कलम को चुना. पिता की विरासत को संभालने की बजाय उसने ताउम्र साहित्य को समर्पित कर दी. आज बरेली के चुनिंदा साहित्यकारों में उनका नाम लिया जाता है. कुछ ऐसी ही शख्सियत है नवाबगंज के पूर्व विधायक बाबू श्योराज बहादुर सक्सेना के पुत्र रजत कुमार की.
1957 ई. से 1962 ई. तक प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से नवाबगंज के विधायक रहे स्वाधीनता सेनानी, ख्याति प्राप्त शायर एवं अधिवक्ता बाबू श्योराज बहादुर सक्सेना एवं माता माया देवी के संभ्रांत परिवार में भूड़, बरेली में 15 मई सन् 1959 को रजत कुमार का जन्म हुआ। उन्होंने बरेली कॉलेज, बरेली से बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। उपन्यास, कहानी, लेख, पत्र व कविता आदि उनकी लेखन विधाएँ हैं। उनके पिता ख्याति प्राप्त शायर रहे। अब तक रजत कुमार की निजी 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें प्रथम पुस्तक “गंगा आ रही है” (2005)- विमोचन- गीत ऋषि स्मृति शेष ज्ञान स्वरूप ‘कुमुद’ जी “जीते जी मरना सीखो”( 2006 )विमोचन- स्मृति शेष ख्याति प्राप्त साहित्यकार श्रीनिवास चतुर्वेदी, “धन नहीं धर्म कमाओ”( 2007) विमोचन- स्मृति शेष वरिष्ठ कवि राम सिंह भंडारी, “हमने क्या किया”(2008) विमोचन-सुकवि उमाशंकर शर्मा चित्रकार, “ब्रह्मऋषि देवराहा बाबा” (2009) विमोचन- वरिष्ठ कवि एस.ए.हुदा सोंटा, “मेरे गवाह रघुनाथ जी हैं”(2010) विमोचन-सुकवि राममूर्ति गौतम, “बिजली- तेल- गैस- बिना जीना सीखो” (2011) विमोचन- प्रसिद्ध समाजसेवी स्मृति शेष डॉ. महावीर सिंह जी, “माता -पिता” (2012) विमोचन- वरिष्ठ साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ ‘धीर’, “आह” उपन्यास (2013) विमोचन- वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र कुमार सक्सेना राजे जी, “दत्तात्रेय जी के चौबीस गुरू”(2014) विमोचन- पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चंद्र शर्मा ‘विकट’,”राजा नवाब जमीदार”(2015) विमोचन- सुभाषवादी किशन लाल सक्सेना,” भौतिकता नहीं नैतिकता चाहिए” (2016) विमोचन- वरिष्ठ समाजसेवी राम कुमार वीरेश, एवं अंतिम पुस्तक “कार्ल मार्क्स और महर्षि दयानंद”( 2020)में विमोचन -गीतकार श्री उपमेंद्र सक्सेना एड. ने किया। इसके अलावा आपके द्वारा “फलसफाये फलसफी श्योराजबहादुर ‘फलसफी’ (2007) पुस्तक का विमोचन आपकी माता स्व. माया देवी द्वारा किया गया। “माई विश” अंग्रेजी नॉवेल- वेद प्रकाश (2010) में आप के संपादन में प्रकाशित हो चुका है। सरस्वती चालीसा का भी आपके द्वारा संपादन किया गया।
आपकी रचनाएं अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी, बरेली एवं रामपुर से आप का काव्य पाठ प्रसारित हो चुका है। अनेक साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा आपको उत्कृष्ट कार्यो के लिए सम्मानित किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि आपके द्वारा 1983 ई. से क्रांतिकारी छात्र परिषद का होली मिलन समारोह गुलाब राय इंटर कॉलेज, बरेली में कैंप लगाकर 38 वर्षों से नियमित सराहनीय कार्य किया जा रहा है। क्रांतिकारी छात्र परिषद के आप संस्थापक/अध्यक्ष हैं। सन् 1972 में आप की प्रथम कहानी “बलिदान” अमर उजाला में प्रकाशित हुई है।अपनी रचनाओं एवं वक्तव्य के माध्यम से आप संदेश देते हैं कि धन नहीं धर्म कमाओ ।आपके आदर्श देवराहा बाबा, मदर टेरेसा एवं आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस रहे हैं। बरेली के लाल बहादुर शास्त्री कहलाने वाले सबसे ईमानदार विधायक बाबू श्योराज बहादुर सक्सेना सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में जेल जा चुके हैं।रजत कुमार ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अविवाहित हैं।

क्रांतिकारी, मानव सेवा, योग साधना एवं साहित्य साधना समर्पित भाव से कर रहे हैं। पशु पक्षियों की भी आपके द्वारा सेवा की जाती रही है. चुन्नू बिजार की आपने बहुत सेवा की और अपने घर में शरण दी बाद में उसकी मृत्यु हो गई। पिता की राजनीतिक विरासत को आपने इसलिए आगे नहीं बढ़ाया क्योंकि आपको राजनीति के क्षेत्र में जाना पसंद नहीं था। आपके चाचा स्व. फतेह बहादुर एडवोकेट बरेली के प्रसिद्ध अधिवक्ता रहे हैं। सादा जीवन उच्च विचार को अपनाने वाले रजत कुमार को उन्हीं की एक रचना की इन पंक्तियों के साथ हृदय से नमन –
एक बुढ़िया नौकरशाहों से दु:खी होकर
कनफूसियस के पास गई,
कन्फ्यूशियस ने कहा तुम जंगल में चली जाओ।
बुढ़िया ने कहा जंगल में आदमखोर चीते हैं।
कनफूसियस ने कहा
ये नौकरशाह तो जंगली चीतों से ज्यादा खतरनाक हैं।
-उपमेंद्र सक्सेना एड. ( साहित्यकार )बरेली

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