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बीडीए का एक और कारनामा, जिस अधिकारी को नहीं बोर्ड की बैठक बुलाने का अधिकार, उसी ने जारी कर दिया एजेंडा, जमकर बरसे मम्मा

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नीरज सिसौदिया, बरेली
विवादों में घिरे बरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का एक और कारनामा सामने आया है. इस बार भी बीडीए के अधिकारियों ने शासनादेश की खुली धज्जियां उड़ाई हैं.
भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों और बीडीए बोर्ड के सदस्यों के विरोध के बाद बरेली विकास प्राधिकरण की ओर से बोर्ड की बैठक बुलाने का एजेंडा तो जारी कर दिया गया है लेकिन इसमें भी खेल किया गया है| शासनादेश का खुला उल्लंघन करते हुए उस अधिकारी की ओर से बैठक बुलाने का एजेंडा जारी किया गया है जिस अधिकारी को शासनादेश में यह अधिकार ही नहीं है कि वह बोर्ड की बैठक आमंत्रित कर सके| इस पर स्थानीय पार्षद और बीडीए बोर्ड के सदस्य सतीश चंद्र सक्सेना कातिब मम्मा ने आपत्ति जताई है| उन्होंने कहा है कि बीडीए बोर्ड की बैठक बुलाने का अधिकार अधीक्षण अभियंता को नहीं है| वर्ष 2001 में जारी शासनादेश का हवाला देते हुए मम्मा ने कहा कि बैठक बुलाने का अधिकार अध्यक्ष की अनुमति से सिर्फ बीडीए के सचिव को है लेकिन बरेली विकास प्राधिकरण नियम विरुद्ध काम करने का आदी हो चुका है इसलिए वह बोर्ड की बैठक में भी नियम विरुद्ध कार्य शैली अपना रहा है| उन्होंने कहा कि यह बेहद ही हास्यास्पद है कि 3 अप्रैल 2021 को बोर्ड का एजेंडा जारी हुआ और उस एजेंडे को मात्र 1 किलोमीटर का फासला तय करने में 3 दिन लग गए और 6 अप्रैल 2021 को उन्हें यह एजेंडा प्राप्त हुआ| मम्मा ने एजेंडे की तिथि को लेकर भी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि शासनादेश में स्पष्ट कहा गया है कि बैठक की तिथि, समय, स्थान कार्य सूची सहित अन्य चीजें कम से कम 15 दिन पूर्व जारी की जानी चाहिए| उन्होंने कहा कि एजेंडे में वर्ष 2020-2021 लिखा गया है जबकि यह 2021- 22 लिखा जाना चाहिए था क्योंकि वर्ष 2020 अब गुजर चुका है| मम्मा ने कहा कि यह एजेंडा स्वयं में त्रुटि पूर्ण है बीडीए के अधीक्षण अभियंता को बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं है. न्याय हित में यह आवश्यक है कि शासनादेश के निर्देशों के अनुसार सक्षम अधिकारी द्वारा बैठक बुलाई जाए| बता दें कि बीडीए बोर्ड के सदस्य सतीश चंद्र सक्सेना कातिब मम्मा, आरेंद्र अरोड़ा कुक्की और नरेश शर्मा बंटी पिछले दिनों मंडलायुक्त कार्यालय में सुबह से लेकर शाम 5:00 बजे तक बरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत लेकर बैठे थे| उसके बाद मंडलायुक्त ने उन्हें मिलने का समय दिया और अगले दिन तीनों सदस्यों से मुलाकात कर उनकी शिकायतें सुनीं. शिकायतें सुनने के बाद मंडलायुक्त ने यह निर्देश जारी किए थे कि बरेली विकास प्राधिकरण बोर्ड की बैठक तत्काल बुलाई जाए| मंडल आयुक्त के निर्देशों के आलोक में बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा बोर्ड की बैठक का एजेंडा तो जारी कर दिया गया लेकिन सक्षम अधिकारी की बजाय अधीक्षण अभियंता की ओर से एजेंडा जारी कराया गया| बीडीए की इस कार्यशैली से उस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं| अब सवाल यह उठता है कि बीडीए की इस मनमानी के खिलाफ बिथरी चैनपुर विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल और केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार भी पत्र? लिख चुके हैं लेकिन यह मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है| मंत्री और विधायकों को दरकिनार कर प्राधिकरण के अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं|

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