जारी रखो हमेशा सुधार जिंदगी का।
क्या फायदा है बेकार जिंदगी का।।
जो तप कर बनता है कुंदन जिंदगी में।
वही कहलाता है सुनार जिंदगी का।।
तुम बढ़ कर गले लगाओ जिंदगी को।
मत करते रहो इंतिज़ार जिन्दगी का।।
जो खुद लिखते हैं लकीरें किस्मत की।
कहलाता असल कलमकार ज़िंदगी का।।
जिसनेआर्शीवाद लिया हमेशा माँ बाप का।
संवर गया उसका हर संस्कार जिंदगी का।।
मत लिपटे रहो हमेशा स्वार्थ के उसूलों में।
बुरा ही अंत होता है मलाईदार जिंदगी का।।
महोब्बत शराफत के ही पाबंद जिंदगी में।
बनकर रहो हमेशा ख़ाकसार ज़िंदगी का।।
ऊपरवाले ने बख्शी है यह ज़िंदगी तुझको।
बनाया है तुझको ही जवाबदार ज़िंदगी का।।
*हंस* जान लोअनमोल जीवन मिला एक बार।
चुकता करके ही जाना है उधार जिंदगी का।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस”