विचार

हिंदी हिन्द की बन चुकी पहचान है…

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सरल सहज सुगम भाषा
वह बोली हिंदी है।
सौम्य और सुबोध आशा
वह बोली हिंदी है।।
आत्मीय अभिव्यक्ति है
हिंदी के प्राण।
सुंदर और सभ्य परिभाषा
वह बोली हिंदी है।।

संस्कृति संस्कार की जो
एक फुलवारी है।
हिंदी बहुत मधुर भाषा जो
जग से न्यारी है।।
भारत की लाडली और
वीरता की गौरवगाथा।
हिंदी ह्रदय वाणी वह तो
बहुत ही प्यारी है।।

भारत जन जन की भाषा
हिंदी बहुत दुलारी है।
मन मस्तिष्क की बोली
भारत की लाली है।।
हो रहा सम्पूर्ण विश्व में
हिंदी मान सम्मान।
हिंदी में ही निहित भारत
की खुशहाली है।।

हिंदी हिन्द की बन चुकी
पहचान है।
सम्पूर्ण विश्व में हिंदी से ही
गौरव गान है।।
एकता की डोर नैतिकता
का है सूत्र हिंदी।
हिंदी से ही विश्व में भारत
की आज शान है।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस” बरेली

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