हर दिल में प्यार का
उपहार चाहिये।
एक दूजे से जुड़ा हुआ
सरोकार चाहिये।।
चाहिये जीने का हक़
हर किसी के लिए।
प्रेम की डोरी में बंधा
संसार चाहिये।।
महोब्बत का बहता
सैलाब चाहिये।
भावनाओं से भरा हुआ
फैलाब चाहिये।।
चाहिये प्यार से ही प्यार
रिश्ता हमको।
दुनिया में कोई नहीं हमें
दुराब चाहिये।।
एक धरती इक़ आसमां
संबको मिले छाया है।
हवा पानी इसको कौन
कब बांध पाया है।।
चाहिये प्रभु का हाथ हर
किसी के सर पर।
न जाने संसार पर पड़ा
कौन बुरा साया है।।
नफरत का नामो निशान
मिट जाये जहान से।
बस किरदार की खुशबू
आये हर इंसान से।।
चाहिये नहीं हमें बारूद
बम्ब की दुनिया।
हमकदम हमसाया सा
हो हर कोई महान से।।
तेरा मेरा इसका उसका
नहीं हरबार चाहिये।
बिन छल कपट के हर
व्यापार चाहिये।।
चाहिये सम्मान से चिंतन
मनन की दुनिया।
स्वर्ग से भी सुंदर धरती
पर संसार चाहिये।।
रचयिता -एस के कपूर “श्री हंस” बरेली