जीवन खेल
जीवन चुनौती है
कठिन रेल
जीवन गर्व
जीवन संघर्ष है
न कर दर्प
जिंदगी एक
अनुभव अनेक
नया हरेक
न हो पहेली
जीवन बने ऐसे
बने सहेली
ये सुख भी है
जीवन धूप छाँव
ये दुःख भी है
जीवन कर्म
निरंतर चले ये
जीवन श्रम
हार न हार
कोशिश जारी रहे
जीत स्वीकार
जीवन मूल्य
समझो इसे खूब
ये है अमूल्य
आत्मा अमृत
सद्चरित्र रहे
न हो विकृत
आपकी सोच
राह भटक जाये
आती है लोच
कर्म प्रधान
जीवन है इससे
बने महान
नहीं अमर
सबको जाना ही है
बढ़ डगर
जीवन मन्त्र
कोई रहस्य नहीं
कर्म है तंत्र
जीवन गति
चलना ही नाम है
नहीं है यति
रचयिता – एस के कपूर, “श्री हंस”