पंजाब

बैंस पर नहीं वेरका मिल्क पर एफआईआर दर्ज करो सरकार, नहीं तो आंदोलन करेंगे : सुशील तिवारी

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जालंधर : लोक इंसाफ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व लुधियाना के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने अभी कुछ दिन पहले वेरका दूध कंपनी का दौरा किया था। बैंस ने वेरका की लेबोरेटरी में जाकर दूध का टेस्ट करवाया. टेस्ट में यह पता चला कि दूध में फैट की मात्र बहुत कम है जबकि पैकेट पर फैट की मात्रा अधिक लिखी है। जिसके बाद बैंस ने इस कंपनी की शिकायत पंजाब के मुख्यमंत्री   कैप्टन अमरिंंदर सिंंह से मिलकर करनी चाही. मुख्यमंत्री के ओएसडी को फ़ोन करके मुख्यमंत्री से मिलने के लिये समय मांगा मगर मुख्य मंत्री के ओएसडी टाल मटोल करते रहे । वहीं, वेरका कंपनी ने देर रात सिमरजीत सिंह बैंस पर परचा दर्ज करवा दिया। जिसके बाद जालंधर नॉर्थ विधानसभा इलाके के युवा नेता व युवा राष्ट्र निर्माण वाहिनी के अध्यक्ष सुशील तिवारी ने अपने फेसबुक पेज पर लाइव होकर कहा कि सिमरजीत सिंह बैंस एक ईमानदार नेता हैं और वह हमेशा सच का साथ देते हैं. उनका किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी के साथ कोई संबंध नहीं । सिमरजीत सिंह बैंस ही ऐसे विधायक हैं जो पंजाब के नेताओं के घोटालों का काला चिट्ठा खोल रहे हैं।

विधायक बैंस

 

तिवारी ने कहा कि बैंस पर दर्ज यह केस मुख्यमंत्री के इशारे पर हुआ है। मगर मुख्यमंत्री को शायद यह नहीं पता कि बैंस एक ईमानदार नेता हैं. उन पर चाहे हजारों पर्चे दर्ज कर दे सरकार मगर बैंस उनके पर्चों से डरने वालो में से नहीं हैं। तिवारी ने कहा कि अगर जल्द ही पंजाब के डीजीपी, मुख्यमंत्री ने दर्ज केस को रद नहीं किया तो वह बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे क्योंकि बैंस ने पंजाब वासियों के लिए यह आवाज उठाई है. इसे किसी भी कीमत पर दबने नहीं दिया जायेगा.

तिवारी ने कहा कि  सरकार बैंस पर मुकदमा दर्ज करने की बजाय वेरका मिल्क के मालिकों पर मुकदमा दर्ज करे जो कि जनता को गुमराह कर उनकी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं| सुशील तिवारी ने कहा कि एक दूध का पैकेट बच्चों की सेहत बनाने के लिए होता है लेकिन वेरका मिल्क प्लांट दूध के पैकेट में गलत जानकारी देकर उन मासूम बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ कर रहा है| और देश के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले को जो सजा मिलनी चाहिए वहीं सजा वेरका मिल्क के मालिक को भी होनी चाहिए| उन्होंने कहा कि झूठी जानकारी देकर वेरका मिल्क वाले करोड़ों रुपए के वारे न्यारे कर चुके हैं| इसके बावजूद उनके खिलाफ आवाज उठाने वाले के खिलाफ ही सरकार पर्चा दर्ज कर रही है| इससे यह साबित होता है कि कहीं ना कहीं निजी स्वार्थ के चलते यह सरकार उद्योगपतियों के हाथों में खेल रही है| सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि उसकी उम्र सिर्फ 5 साल होती है| अगर जनता के हितों से समझौता किया गया तो 5 साल बाद जनता खुद ब खुद सत्ता का नशा उतार देती है| जिस तरह 10 साल पंजाब की जनता ने कैप्टन सरकार को सत्ता के आसपास भी भटकने नहीं दिया उसी प्रकार 10 साल के राज के बाद अकाली-भाजपा गठबंधन को भी सबक सिखाया| कैप्टन सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि इतिहास खुद को दोहराता है| इसलिए जनता के हितों से समझौता करने की बजाय जनहित की आवाज उठाने वालों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं न कि जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वाले उद्योगपतियों को संरक्षण दे|

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