नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम का टाउन प्लानिंग विभाग सिर्फ कार्रवाई करने में ही नहीं बल्कि सूचनाएं देने में भी फिसड्डी है| इसका ताजा उदाहरण उस वक्त सामने आया जब एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी नगर निगम की ओर से 211 दिन बाद दी गई| इस पर नगर निगम के एटीपी को 2000 रुपये बताैर जुर्माना अदा करने पड़े|
https://youtu.be/c4YoJRQHdas
जानकारी के मुताबिक आरटीआई एक्टिविस्ट रविंद्र पाल सिंह चड्ढा ने वेरका मिल्क प्लांट के पास बने होटल wJ ग्रांड के संबंध में जानकारी मांगी थी| इसका अपील केस नंबर 549 2018 है| नियमानुसार नगर निगम को यह जानकारी 30 दिन के अंदर उपलब्ध करानी थी| लेकिन नगर निगम के एटीपी की ओर से ईद 211 दिन बाद यह जानकारी उपलब्ध कराई गई| इस पर राज्य सूचना आयुक्त हेमेंद्र सिंह ने जन सूचना अधिकारी तहसील कैंप टाउन प्लानर| नगर निगम जालंधर को 22 मई 2018 को आदेश जारी कर अपीलकर्ता को ₹2000 बतौर जुर्माना अदा करने के आदेश दिए| आदेश में कहा गया है कि नगर निगम की ओर से यह जानकारी 211 दिन बाद उपलब्ध कराई गई है जबकि इसे 30 दिन में अपील करता तक पहुंचा दिया जाना चाहिए था|
https://youtu.be/TCQp3hFRwWw
अतः आरटीआई एक्ट के सेक्शन 19 (8) बी के तहत अपीलकर्ता रविंद्र पाल सिंह चड्ढा को मुआवजे के तौर पर ₹2000 दिए जाएं| 30 दिन के अंदर यह राशि बैंक ड्राफ्ट के जरिए दी जाए| राज्य सूचना आयुक्त के आदेश के बाद निगम की ओर से रविंद्र पाल सिंह को मुआवजे का ड्राफ्ट सौंप दिया गया है|