नीरज सिसौदिया, जालंधर
जालंधर जिला कांग्रेस प्रधान के लिए सियासी घमासान अब तेज हो गया है| उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दो-चार दिन में ही नये जिला प्रधान का ऐलान कर दिया जाएगा| जिला प्रधान की इस दौड़ में दो चेहरे तो पहले ही शामिल थे लेकिन तीसरी सूरत ने इन दोनों की राह में रोड़ा अटका दिया है| ऐसे में जालंधर शहरी कांग्रेस का अगला जिला प्रधान कौन होगा यह कहना फिलहाल मुश्किल है|
दरअसल, जालंधर कांग्रेस में नई तरह की सियासत में जन्म ले लिया है| सूत्रों की मानें तो जालंधर के तीन विधायक परगट सिंह, बावा हेनरी और राजेंद्र बेरी एकमत होकर जिला प्रधान बनाना चाहते हैं| ऐसे में सुशील रिंकू अलग-थलग पड़ गए हैं| हालांकि, सुशील रिंकू का समर्थक कोई भी दावेदार रेस में नजर नहीं आ रहा था लेकिन तीनों विधायकों की जुगलबंदी ने नए सियासी समीकरण खड़े कर दिए हैं| वर्तमान में 23 चेहरे जिला प्रधान की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं उनमें कांग्रेस पार्षद बलराज ठाकुर, दिग्गज कांग्रेस नेता मनोज अरोड़ा और पूर्व पार्षद बलदेव सिंह शामिल हैं|
बलदेव सिंह देव साफ सुथरी छवि वाले नेता होने के साथ ही कांग्रेस विधायक बावा हेनरी के करीबी भी हैं| गत नगर निगम चुनाव में उनकी सीट आरक्षित हो जाने के कारण वह नगर निगम का चुनाव नहीं लड़ सके थे| सूत्र बताते हैं कि विधायक सुशील रिंकू की नाराजगी के चलते बलदेव सिंह देव को चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल सका और रिंकू के चहेते लखबीर बाजवा ने चुनाव लड़ा| जूनियर और सीनियर हेनरी से वफादारी के इनाम के रूप में बलदेव सिंह देव को अब कांग्रेस जिला प्रधान की कुर्सी सौंपने की तैयारी की जा रही है| हालांकि, बलराज ठाकुर और मनोज अरोड़ा दोनों ही सूझवान और लोकप्रिय नेता हैं लेकिन बलदेव सिंह देव के पास प्लस पॉइंट यह नजर आता है कि वह ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं| जालंधर शहरी जिला इकाई में कोई भी वरिष्ठ पदाधिकारी वर्तमान में ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं करता है| ऐसे में यह मांग उठाई जा रही है कि इस बार जिला प्रधान ओबीसी वर्ग से ही होना चाहिए|
बलराज ठाकुर मेयर पद के भी प्रबल दावेदारों में से एक थे लेकिन बावा हैनरी, राजेंद्र बेरी और परगट सिंह की आपसी जुगलबंदी के चलते ठाकुर को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और जगदीश राजा मेयर बन गए|
जगदीश राजा को यह इनाम हेनरी की वफादारी पर ही मिला था| ठाकुर के पास ऐसा कोई सियासी रहनुमा नहीं था जो उन्हें मेयर की कुर्सी तक पहुंचा पाता| यही वजह रही कि सूझवान और काबिल होने के बावजूद बलराज ठाकुर जालंधर के मेयर नहीं बन सके| सियासी हालात अभी नहीं बदले हैं और ठाकुर के खाते में सिर्फ अपनी काबिलियत के अलावा और कुछ नहीं| इसलिए जालंधर जिला प्रधान की कुर्सी से ठाकुर कोसों दूर नजर आ रहे हैं|
बात अगर मनोज अरोड़ा की करें तो प्रदेश की राजनीति में मनोज अरोड़ा का अच्छा खासा दबदबा है| कैप्टन अमरिंदर सिंह और मोहिंदर सिंह केपी से उनकी नजदीकियां जगजाहिर हैं लेकिन बात जब स्थानीय नेतृत्व की आती है तो यहां मनोज अरोड़ा कमजोर नजर आते हैं|
मनोज अरोड़ा अपनी पत्नी अरोड़ा अरोड़ा को नगर निगम में भी अहम पद दिलाना चाहते थे लेकिन लगातार कई बार जीत हासिल करने और काबिल नेत्री होने के बावजूद अरूणा अरोड़ा न तो मेयर बन सकीं, न सीनियर डिप्टी मेयर और न ही डिप्टी मेयर| साथ ही स्थानीय स्थल पर मनोज अरोड़ा का विरोध भी कम नहीं है|
वहीं, बात अगर बलदेव सिंह देव की करें तो विधायक सुशील रिंकू के कुछ समर्थकों को छोड़ दें तो स्थानीय राजनीति में बलदेव सिंह देव का कोई विरोध नहीं है| उन्हें मिलनसार नेता के रूप में जाना जाता है| विधायक राजेंद्र बेरी और बावा हेनरी का पूर्ण रूप से समर्थन भी उन्हें प्राप्त है| साथ ही इन दोनों विधायकों का समर्थन मिलने के कारण परगट सिंह का मौन समर्थन उन्हें मिल सकता है|
अगर बलदेव सिंह देव को जिला प्रधान न बनाकर बलराज ठाकुर या मनोज अरोड़ा को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो जालंधर शहर जिला कांग्रेस में एक बार फिर गुटबाजी हावी हो जाएगी| ठीक उसी तरह जिस तरह राजेंद्र बेरी के जिला प्रधान पद से हटते ही दलजीत सिंह अहलूवालिया को जिला प्रधान बनाने पर हुई थी| ऐसे में हाईकमान भी यह चाहता है कि नया जिला प्रधान विधायकों की सहमति से ही बनाया जाए ताकि स्थानीय स्तर पर संगठन को और मजबूत किया जा सके| यही वजह है कि बलराज ठाकुर और मनोज अरोड़ा की राह में बलदेव सिंह देव सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो रहे हैं और माना जा रहा है कि जिला प्रधान की कुर्सी पर अब की बार बलदेव सिंह देव की काबिज होंगे| कांग्रेस नेता एवं पूर्व पार्षद प्रदीप राय समेत कई स्थानीय नेताओं ने तो देव को अभी से जिला प्रधान मानते हुए उन्हें पूरा समर्थन देने का ऐलान भी कर दिया है|