उत्तराखंड

विवादों में घिरा टनकपुर का रेलवे प्रोजेक्ट, बड़े गड़बड़झाले का हुआ खुलासा

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राजेंद्र भंडारी, टनकपुर

रेलवे का टनकपुर प्रोजेक्ट विवादों में घिर गया है| रेलवे अधिकारियों की ओर से एक बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है| एक तरफ जहां रेलवे की ओर से बिना अनुमति लिए ही नगरपालिका की जमीन पर रेल यात्रियों का मल-मूत्र बहाने के लिए नाला को दिया गया वहीं, पवित्र शिव मंदिर तक इस तरह का नाला खोदे जाने से स्थानीय लोग भी भड़क गए हैं.
बता दें कि टनकपुर में बड़ी लाइन का प्रोजेक्ट जोर-शोर से चल रहा है| रेलवे ने इसका काम भी लगभग पूरा कर दिया है| ट्रेनों के लिए वॉश पिट बनाया गया है और इसका सफल ट्रायल भी हो चुका है|

हैरानी की बात तो यह है कि रेलवे में यह सारा इंतजाम बिना कुछ सोचे समझे ही कर डाला| वॉश पिट का मल-मूत्र और गंदा पानी कहां जाएगा इसकी व्यवस्था किए बगैर ही रेलवे अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने जा रहा था| जल्दबाजी में रेलवे ने अपनी बाउंड्री वाल से करीब 200 मीटर तक नगरपालिका की जमीन पर नाला खोद डाला. इसके लिए रेलवे की ओर से संबंधित विभाग या प्रशासन की कोई भी अनुमति नहीं ली गई| विष्णु पुरी कॉलोनी में यह नाला खोले जाने से स्थानीय लोग भड़क उठे क्योंकि जिस जगह तक यह नाला ले जाया जा रहा है वहां पवित्र शिव मंदिर स्थापित है| रेल में यात्रियों का मल मूत्र आने से यह स्थान पूरी तरह से अपवित्र हो जाएगा और साथ ही यहां रहने वाली आबादी भी संक्रामक रोगों की शिकार हो जाएगी|


हैरानी की बात तो यह है कि रेलवे ने बिना अनुमति लिए यहां जेसीबी से खुदाई करवाना भी शुरू कर दिया था| जनता ने विरोध किया तो खुदाई करने वाले कर्मचारी भाग खड़े हुए| इसके बाद स्थानीय लोगों ने डाला पाट दिया| रेलवे अधिकारियों की इस तानाशाही के खिलाफ जब पालिका के अधिशासी अधिकारी ने रेलवे को नोटिस भेजा तो स्थानीय रेलवे अधिकारियों ने उस नोटिस को रिसीव करना तक मुनासिब नहीं समझा| इसके बाद रेलवे को अनुमति लेने की याद आई और उन्होंने आज तहसील में आयोजित तहसील दिवस में एक प्रार्थना पत्र देकर नाले की खुदाई करने की अनुमति मांगी| हैरानी की बात तो यह है कि तहसील दिवस में ₹10 के स्टांप पर तहसील प्रशासन और पालिका की ओर से इस प्रार्थना पत्र को स्वीकृति देते हुए रेलवे को नाला खोदने की अनुमति भी दे दी गई| हैरानी की बात तो यह है कि अनुमति देने से पूर्व स्थानीय लोगों से कोई राय नहीं ली गई जो इससे प्रभावित हो रहे हैं| वहीं लोगों की धार्मिक भावनाओं से भी खिलवाड़ किया जा रहा है| शिव मंदिर के पास मल मूत्र आने मंदिर अपवित्र होगा| ऐसे में पूजा-पाठ के काम में व्यवधान पड़ेगा| यह आम जनता की भावना से खुला खिलवाड़ है|
स्थानीय लोगों का कहना है कि अजय रेलवे को यहां नाला बनाना था तो इसका जिक्र डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में किया जाना चाहिए था| अब जबकि रेलवे अपनी बाउंड्री वॉल पीस चुका है उसके बाद बाकी वालों से बाहर नाली खोदने तर्कसंगत नहीं लगता| वॉश पिट बनाने से पहले रेलवे को यह सोचना चाहिए था कि मल-मूत्र कहां जाएगा| इतने बड़े प्रोजेक्ट में यह लापरवाही रेलवे अधिकारियों की पोल खोलती है| ऐसे लापरवाह अधिकारियों के भरोसे रेल पहाड़ पर कैसे चल पाएगी? स्थानीय लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री पीयूष गोयल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सांसद अजय टम्टा व स्थानीय विधायक कैलाश गहतोड़ी से मांग की है कि विष्णुपुरी में रेल यात्रियों का मल-मूत्र ना बढ़ाया जाए|

रेलवे अपनी बाउंड्री वॉल के अंदर ही इसका इंतजाम करे| साथ ही इतने बड़े प्रोजेक्ट में यह लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को बर्खास्त करने के साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाए| स्थानीय जनप्रतिनिधि आम जनता से विचार विमर्श कर आगे की रणनीति बना रहे हैं| उनका कहना है कि जरूरत पड़ने पर वह न्यायालय की शरण में भी जाएंगे लेकिन धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा|

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