पंजाब

भाजपा ने दिया प्रकाश सिंह बादल को करारा झटका, विरोध में उतरा अकाली दल

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नीरज सिसौदिया
भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को जोरदार झटका दिया है| इसके साथ ही उन्होंने प्रकाश सिंह बादल की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है| गठबंधन की गाड़ी खुलने लगी है और अकाली दल भाजपा के विरोध में उतर आया है|
दरअसल, मामला राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव का है| अकाली दल किस पद पर अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहता था| खुद पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल इस दौड़ में शामिल थे लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने अकाली दल को दरकिनार करते हुए जनता दल यूनाइटेड के सांसद हरिवंश सिंह को अपना उम्मीदवार बना दिया है| इस पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल खफा हो गए हैं|


बता दें कि आगामी 9 अगस्त को उपसभापति का चुनाव होना है| NDA बहुमत में है और जो भी उम्मीदवार NDA से खड़ा होगा उस की जीत लगभग तय है| ऐसे में यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की झोली में आ सकती थी लेकिन भाजपा ने उन्हें दरकिनार कर दिया| इसके बाद अकाली दल और भाजपा की लड़ाई सड़कों पर आ गई है| अकाली दल ने उपसभापति चुनाव का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है|
अकाली दल और भाजपा के बीच यह तल्खियां आगामी लोकसभा चुनाव को पंजाब में अवश्य प्रभावित करेंगे लेकिन बिहार और झारखंड में भारतीय जनता पार्टी को इसका लाभ मिल सकता है|
दरअसल, प्रकाश सिंह बादल को दरकिनार करने का यह फैसला भी आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही लिया गया है| बिहार में जदयू का वर्चस्व है और झारखंड में भी उसकी अच्छी पकड़ है| ऐसे में अगर जदयू को उपसभापति का पद नहीं दिया जाता तो आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता| अब यदि वह नाराज होती तो वह 2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा से खुद को अलग कर सकती थी| जैसा कि जदयू ने बिहार विधानसभा चुनाव में किया था और भाजपा को वहां मुंह की खानी पड़ी थी| यही वजह है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह से जनता दल यूनाइटेड को नाराज नहीं करना चाहती और उसे उपसभापति का उम्मीदवार दे दिया|

https://youtu.be/UODwOayyEsk
यहां पर प्रकाश सिंह बादल जदयू के नीतीश कुमार से कमजोर पड़ गए| अगर भारतीय जनता पार्टी प्रकाश सिंह बादल को उम्मीदवार बनाती तो उसे आगामी लोकसभा चुनाव में पंजाब में कोई खास फायदा नहीं मिलने वाला था क्योंकि यहां अकाली दल की स्थिति फिलहाल काफी खराब है और वह सत्ता से बाहर है| साथ ही पंजाब में लोकसभा सीटों की संख्या भी अकेले बिहार की लोकसभा सीटों की आधी भी नहीं है| ऐसे में भाजपा का यह दांव भले ही अकाली दल को रास नहीं आ रहा लेकिन चुनावी दृष्टिकोण से यह NDA के हित में है|
फिलहाल अकाली दल काफी नाराज है और उसने उपसभापति के चुनाव का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है| अब देखना यह है कि पंजाब में पहले से ही वजूद की तलाश कर रही भारतीय जनता पार्टी अकाली दल के विरोध के बाद कहां तक स्टैंड कर पाती है|

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