नीरज सिसौदिया, जालंधर
बहुप्रतीक्षित बाबा सोढल के वार्षिक मेले की तैयारियां धूमधाम से चल रही हैं लेकिन इन्हीं तैयारियों के बीच प्रकृति और आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है| हरे भरे पेड़ों की तो बलि दी ही जा रही है साथ ही हिंदू धर्म की आस्था के प्रतीक पीपल और बरगद जैसे पेड़ों की भी हरी-भरी डालियां काट डाली गई हैं| यह खुला खिलवाड़ कोई और नहीं बल्कि बिजली विभाग की ओर से किया जा रहा है| इसकी पुष्टि नगर निगम के लैंडस्केप अफसर दलजीत सिंह ने की है|
दरअसल हिंदू धर्म में पीपल और बरगद के वृक्ष का बड़ा ही महत्व है| वेद पुराणों में भी इन वृक्षों को आस्था का प्रतीक माना गया है| सदियों से हिंदू समाज इन वृक्षों की पूजा करता आ रहा है लेकिन अब आस्था की आड़ में आस्था से ही खिलवाड़ किया जा रहा है|
सोढल रोड पर लगभग आधा दर्जन पेड़ों पर आरी चलाई गई है| हालांकि इन पेड़ों को जड़ से तो नहीं काटा गया है लेकिन इनकी हरी-भरी डालियां का डाली गई हैं। इससे जहां हिंदू धर्म की आस्था को तो ठेस पहुंची ही है वहीं पर्यावरण को भी गहरी क्षति पहुंची है| इस संबंध में जब नगर निगम के लैंडस्केप अफसर दलजीत सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इन पेड़ों को बिजली विभाग की ओर से काटा गया है| लाइटिंग की व्यवस्था को लेकर कुछ परेशानी आ रही थी जिसके चलते यह पेड़ काटे गए हैं|
अब सवाल यह उठता है कि सोडल मेला कोई पहली बार तो हो नहीं रहा है और ना ही लाइटिंग की व्यवस्था पहली बार हो रही है फिर बरगद और पीपल के पवित्र वृक्ष पहली बार क्यों काट दिए गए? उन्हें पहले क्यों नहीं काटा गया? जरा जरा सी बात पर शोर मचाने वाले हिंदू धर्म के ठेकेदार कहां हैं? क्या बिजली विभाग ने पेड़ काटने से पहले कोई परमिशन ली थी अथवा नहीं? इस संबंध में जब बिजली विभाग के मुख्य अभियंता से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका| इस संबंध में जब सोडल मंदिर कमेटी से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे भी बात नहीं हो सकी| अगर वह चाहे तो अपना पक्ष मोबाइल नंबर 75 280 22520 पर दे सकते हैं|