एजेंसी, नई दिल्ली
नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस रंजन गोगोई आगामी तीन अक्टूबर को पदभार ग्रहण करेंगे. उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश का अगला मुख्य न्यायधीश नियुक्त कर दिया है. कुछ समय पहले प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर न्यायपालिका के भीतर फैली अव्यवस्था की बात करने वाले जजों में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे. अब जस्टिस रंजन गोगोई की नियुक्ति के बाद उनसे कई उम्मीदें बंध गई हैं. हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं.
ये बात पहले ही पता थी कि इस साल अक्तूबर में मौजूदा मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा रिटायर होने वाले हैं. लेकिन आशंकाएं जताई जा रही थी कि क्या सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश रंजन गोगोई को मुख्य न्यायाधीश बनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों में जस्टिस गोगोई को सबसे मुखर जज माना जाता है और उनके बारे में कहा जाता है कि वो चुप बैठने वालों में से नहीं है. ऐसे में उनकी नियुक्ति को बेहद अहम माना जा रहा है. आमतौर पर सर्वोच्च जज को ही मुख्य न्यायाधीश बनाया जाता है और अब तक भारत में केवल दो बार ही ऐसे मौक़े आए हैं जब ऐसा नहीं हुआ है. जस्टिस रंजन गोगई को उनके एक बयान के लिए भी जाना जाता है जो उन्होंने दिल्ली में आयोजित तीसरे रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान के दौरान दिया था.
उन्होंने न्यायपालिका को उम्मीद का आख़िरी गढ़ बताया था और कहा था कि न्यायपालिका को पवित्र, स्वतंत्र और क्रांतिकारी होना चाहिए. उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा था कि ‘हो-हल्ला मचाने वाले जज न्यायपालिका की पहली रक्षा पंक्ति थे.’ ऐसे में उनसे उम्मीदें अनेक हैं और कहा जाए तो उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं. जस्टिस रंजन गोगोई पूर्वोत्तर राज्यों से मुख्य न्यायाधीश बनने वाले देश के पहले व्यक्ति होंगे. उन्होंने 1978 में एक वकील के तौर पर गुवाहाटी हाईकोर्ट में काम करना शुरू किया था. बाद में साल 2001 में वो गुवाहाटी हाईकोर्ट में जज बने. 2012 में वो सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त किए गए थे. जस्टिस गोगोई 17 नवंबर 2019 में रिटायर होंगे और उनका कार्यकाल 1 साल और 44 दिनों का रहेगा.