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SC में UP पुलिस का जवाब, ‘फेक नहीं था विकास दुबे का एनकाउंटर, आत्मरक्षा में चलाई गोलियां’…

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विकास दुबे एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस ने सु​प्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. अपने जवाब में पुलिस ने एनकाउंटर को सही बताया है और कहा है कि इसे किसी भी तरह फेक एनकाउंटर नहीं कहा जा सकता. वहीं एनकाउंटर को लेकर किसी तरह का संशय नहीं रहे, इसके लिए सरकार ने सभी तरह के कदम उठाए हैं.

यूपी पुलिस के महानिदेशक की तरफ से दायर जवाब में कहा गया है कि एनकाउंटर के मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया गया है. आत्मरक्षा में पुलिस ने गोली चलाई जब एक दुर्दान्त अपराधी हिरासत से पुलिस के हथियार छीनकर भाग रहा था.

बता दें कि एनकाउंटर के बाद सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक यूपी सरकार ने न्यायिक आयोग गठित किया है जो कि एनकाउंटर की जांच कर रहा है.

यूपी पुलिस ने दुबे के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की सूची कोर्ट को दी है.

एनकाउंटर के समय घटनास्थल पर पलटी पुलिस की गाड़ी की फोटो, विकास दुबे के शव की फोटो, विकास दुबे ने जिन आठ पुलिस वालों की हत्या की, उनके शवों की फोटो कोर्ट में जमा की है.

हथकड़ी न लगाने पर पुलिस ने सफाई दी है कि 15 पुलिसकर्मियों की टीम और तीन गाड़ियों के साथ दुबे था जिसे घटनावाले दिन सुबह दस बजे कानपुर कोर्ट में पेश करना था, जो कि गाड़ी में दोनों तरफ पुलिसकर्मी के बीच बैठा था इसलिए हथकड़ी नहीं लगाई.

वहीं दुबे की गाड़ी बदले जाने पर पुलिस ने सफई दी है कि सुरक्षा के मद्देनजर रास्ते में बार बार दुबे की गाड़ी बदली जा रही थी और गाड़ी के पीछे आ रहे मीडियाकर्मियों की गाड़ियों को ट्रैफिक जाम की समस्या से बचने के लिए रोका गया था.

पुलिस ने कहा है कि दुबे के सीने पर गोलियां इसलिए लगीं क्योंकि दुबे ने पुलिस की 9 एमएम की पिस्टल छीनकर पुलिस पर सामने से नौ गोलियां चलाई थीं, तब पुलिस की तरफ से चली गोलियां दुबे के सीने में लगीं.

डीजीपी ने जवाब में कहा है कि विकास दुबे, गैंगस्टर था. उस पर 64 केस दर्ज थे. 2 जुलाई की रात उसे पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर 80-90 बदमाशों ने हमला किया.

8 पुलिस वालों को मार दिया. सर्किल ऑफिसर को मारने के बाद उनका पैर भी काटा.

पुलिस ने बताया कि जब विकास दुबे को लाया जा रहा था तब कानपुर से 25 किलोमीटर पहले भारी बारिश और सड़क पर मवेशियों के आने के चलते गाड़ी पलटी. विकास पिस्टल छीन कर भागने लगा. समर्पण के लिए कहने पर गोलियां चलाईं. गोली चलाने के लिए जब मुड़ा था, तभी उसे 3 गोलियां लगीं. पैर में रॉड लगी होने के बावजूद वह भागने में पूरी तरह से सक्षम था.

पूरे मामले में पुलिस टीम की भूमिका असंदिग्ध है. फिर भी जांच के लिए SIT का गठन किया गया. हाई कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में जांच आयोग बनाया गया.

पुलिस ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद एनकाउंटर केस में अपनी तरफ से जांच आयोग बनाया था, लेकिन दुबे के एनकाउंटर का यह मामला उससे अलग. यहां सभी नियमों का पालन हुआ है. जांच निष्पक्ष तरीके से चल रही है.

डीजीपी ने कहा कि एनकाउंटर की जांच चल रही है जिसकी ज्यादा डिटेल अभी नहीं बताई जा सकती है ताकि जांच की गोपनीयता बनी रहे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा है कि अभी जो जवाब दाखिल किया गया है वह जल्दबाजी में तैयार किया गया है, इस मामले में दायर याचिकाओं का हर पैरे का जवाब वह बाद में दाखिल करेंगे.

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