आनंद ‘राही’, नई दिल्ली
जेट एयरवेज के स्टाफ की लापरवाही से यात्रियों के नाक और कान से खून निकलने लगा. कंपनी ने संबंधित स्टाफ को बर्खास्त कर दिया है.
डिप्टी डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ललित गुप्ता ने बताया कि क्रू मेंबर केबिन के प्रेशर को बनाए रखने वाले बटन (ब्लीड बटन) को दबाना भूल गया था। जिसकी वजह से यात्रियों को खून निकलने और सिर दर्द की समस्या हुई।
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के एक अधिकारी ने बताया कि उड़ान भरते समय चालक दल के सदस्य ‘ब्लीड स्वीच सेलेक्ट करना भूल गये, जिसकी वजह से केबिन प्रेशर सामान्य नहीं रखा जा सका। इस वजह से ऑक्सीजन मॉस्क नीचे आ गये।
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जेट एयरवेज के प्रवक्ता ने बताया कि फ्लाइट के कॉकपिट क्रू को ड्यूटी से हटा दिया गया है और जांच जारी है। इस विमान में सवार सभी यात्रियों के लिए वैकल्पिक विमान की व्यवस्था की जा रही है। विमान में सवार यात्री ने बताया कि जैसे ही विमान ने टेक ऑफ किया एसी ने काम करना बंद कर दिया। उसके बाद एयर प्रेशर सिस्टम भी बंद हो गया और ऑक्सीजन मास्क बाहर आ गए। कुछ यात्रियों के नाक-कान से खून बहने लगा। कुछ यात्रियों को सिरदर्द की शिकायत भी हुई।
*क्या होता है केबिन प्रेशर? जानें कितना खतरनाक हो सकता है ये*
आप अगर फ्लाइट से यात्रा करते रहते हैं, तो आपने हर बार देखा होगा कि फ्लाइट अटेंडेंट नियमित सुरक्षा डेमो के दौरान ऑक्सीजन मास्क के बारे में भी सभी यात्रियों को बताते हैं। हालांकि, उस ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल न के बराबर ही किया जाता है। या यूं कह लीजिए कि इसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ती।
ये ऑक्सीजन मास्क आपकी सीट के ऊपर ही होता है। आज मुंबई-जयपुर जेट एयरवेज की फ्लाइट में सवार 166 यात्रियों को ऐसी ही समस्या से जूझना पड़ा। फ्लाइट में सवार यात्रियों के लिए यह एक बुरे सपने की तरह था।
यात्रियों ने बताया कि जेट एयरवेज फ्लाइट 9W 697 के क्रू मेंबर “ब्लीड स्विच” को ऑन करना भूल गए। नतीजतन केबिन प्रेशर बढ़ा और यात्रियों के नाक और कान से खून बहने लगा।
*हमें फ्लाइट में केबिन प्रेशर की आवश्यकता क्यों है?*
इसका सरल और सीधा जवाब है, क्योंकि हमें ऑक्सीजन की जरूरत होती है।हम यही जानते हैं कि ज्यादा ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर कम होता जाता है। यह एक गलत धारणा है। सीएनएन के लिए लिखे लेख में एक पायलट ने इसका खुलासा करते हुए कहा है कि जितनी ऑक्सीजन की मात्रा समुद्र के स्तर पर होती है उतनी ही ऑक्सीजन ऊंचाई पर भी मौजूद होती है। लेकिन, ऊंचाई बढ़ने के साथ दबाव कम होता जाता है, जिससे सांस लेने में समस्या होने लगती है।
पायलट ने बताया है कि इस समस्या से पार पाने के लिए फ्लाइट में केबिन प्रेशर मेंटेन किया जाता है। जब फ्लाइट लैंड करती है, तो केबिन प्रेशर धीरे-धीरे कम किया जाता है।
*अब आपको बताते हैं फ्लाइट में केबिन प्रेशर कैसे मेंटेन किया जाता है*
केबिन प्रेशर मेंटेन करने की प्रक्रिया में फ्लाइट के इंजन गर्म और हाई प्रेशराइज़्ड हवा जिसे ब्लीड एयर भी कहा जाता है, उसे कई स्टेप के बाद ठंडा कर केबिन में मौजूद हवा में मिक्स किया जाता है। इसे आउटफ्लो वॉल्व के माध्यम से केबिन में छोड़ा जाता है। प्रेसर सेंसर केबिन में हवा के लेवल को मेंटेन करता है। इस प्रक्रिया के बाद ही 30 हजार फीट की ऊंचाई पर यात्रियों को सांस लेने में दिक्कत नहीं होती है। यात्रियों को जमीन जैसा ही हवा का दबाव महसूस होता है।
केबिन प्रेशर जरूरत के अनुसार न होने से यात्रियों को हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) की समस्या हो सकती है। जोकि घातक हो सकती है। केबिन प्रेशर कम होने के कारण ब्लड के फ्लो में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ सकती है जोकि जोड़ों में दर्द, लकवा, यहां तक की *मौत का कारण* भी बन सकती है।