नीरज सिसौदिया, जालंधर
तकरीबन 3 महीने पहले 4 जुलाई को भगत सिंह कॉलोनी मे रहने वाले अनमोल भाटिया ने आत्महत्या कर ली थी और एक सुसाइड नोट भी लिख कर दिया था जिसमें आत्महत्या का कारण अपना मकान ना बनाए दिए जाना लिखा था । अनमोल का कहना था कि लाखों का सामान खराब हो रहा था और घर के आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो चुकी थी , इलाके में रहने वाले कुछ सियासी लोग उन पर बार-बार दबाव डालते थे, कि मकान नहीं बनने देंगे, वह बार-बार कारपोरेशन में कंप्लेंट करते थे । उसकी बड़ी बहन कई बार उन सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना कर चुकी थी व इलाके के विधायक के पास भी जाकर गुहार लगा चुकी थी, लेकिन मकान नहीं बनाने दिया जा रहा था । कारपोरेशन के आला अधिकारियों का कहना था कि आप अपने मोहल्ले के उन सियासी लोगों से जाकर विनती करो जिन के कहने पर यह बार-बार आते थे ।
जब आखरी तक कोई हल नहीं निकला तो अनमोल भाटिया ने इस तरह का कदम उठा कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी । अपनी आत्महत्या करने का दोषी पटेल नगर में रहने वाला सब्जी मंडी में काम करने वाले मदन लाल, अछर सिंह निवासी पटेल नगर (शॉपकीपर किराने की दुकान वाला), राजेंद्र शर्मा उर्फ बिट्टू (कांग्रेसी नेता व मंडी में काम करने वाला), सतीश शर्मा निवासी पटेल नगर (ट्रांसपोर्ट में काम करने वाला) इन चारों का नाम वह लिख कर गया था , पर बड़े अफसोस व दुख की बात है कि डिवीजन नंबर 1 की पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही ना करते हुए इनकी गिरफ्तारी नहीं की गई है । हालांकि इनके खिलाफ 306,34 का पर्चा भी दर्ज हुआ है । मृतक के बड़े भाई सरजू भाटिया व विधवा बड़ी बहन शैली भाटिया का कहना है कि पटेल नगर मोहल्ले में ही रहने वाले चारों व्यक्ति खुलेआम घूम रहे हैं और आंखें भी दिखाते हैं और धमकी भी देते हैं । इनसे उन्हें जान का खतरा है ,कई दफा पुलिस को इस संबंध में कह चुके हैं लेकिन निराशाजनक या झूठा आश्वासन ही मिला है । इस संबंध में 15 सितंबर को यह दोनों भाई-बहन पंजाब डीजीपी से भी मिले थे, लेकिन अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है । अंत में आज समाज का आईना प्रेस की मदद के जरिए अपनी आवाज या दुख बताया जा रहा है और आस की जा रही है कि हमें न्याय मिल जाएगा ,खुलेआम घूम रहे दोषियों को सजा होगी । इनका कहना है कि कुछ ही समय पहले माता-पिता का देहांत हो चुका था, जिन के इलाज के लिए घर के जेवर तक बिक गए थे, पेंशन खत्म होने के बाद कमाई के नाम पर एक छोटी सी दुकान ही बची है जहां से गुजारा करना बहुत मुश्किल था, पटेल नगर में वह मकान काफी पुराने समय से बना हुआ था जहां से किराए की आमदनी से तीनो भाई-बहनों का गुजारा चल रहा था , लेकिन क्योंकि वहा के किराएदार शिकायत कर रहे थे कि ऊपर से पानी चूता है तो ,इनके द्वारा बची-खुची जमा पूंजी लगाकर लेंटर की कंस्ट्रक्शन का कार्य शुरू किया लेकिन बीच में ही कारपोरेशन द्वारा काम रोक दिया गया । कई बार मिन्नत की गई लेकिन उन्होंने कहा उन्हीं लोगों से जाकर मिलो जिन्होंने कंप्लेंट की है । यह दोनों भाई बहन कई दफा उनसे जाकर मिले हाथ-पैर जोड़े लेकिन वह नहीं माने । जब- जब छोटा भाई वहां जाकर सरिए, सीमेंट, रेता आदी कंस्ट्रक्शन का सामान खराब होता देखता था उसका दिल दुखता था घर में आमदनी का गुजारा ना के बराबर हो गया था और पैसे भी सारे खत्म हो गए थे । किराया आने की भी अब आस खत्म हो गई थी ,इस दुख से उसने यह कड़ा कदम उठाया । प्रेस के माध्यम से हमारी मांग है कि हमें न्याय दिया जाए, कानून मुख्य दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे या सीबीआई कार्यवाही करवाई जाए । शैली भाटिया का कहना है कि यदि पुलिस या प्रशासन न्याय नहीं दिला सकती तो हमें ईच्छा मृत्यु की परमिशन ही दे दी जाए । हम अपने छोटे भाई की मौत का कारण बने उन दोषियों के हाथों मरने की बजाय खुद मरना पसंद करेंगे । दोनों भाई- बहन ने कहा कि छोटे भाई को बचपन में हमेशा अपनी गोद में उठा कर रखते थे, उसी भाई की अपनी आंखों के सामने चिता जलते देख वह अंदर से टूट चुके हैं, किसी को इतना मजबूर भी नहीं करना चाहिए कि वह इस तरह का कदम उठा ले ।