नीरज सिसौदिया, जालंधर
एक तरफ भारतीय रेलवे जहां आधुनिक होने का दावा करते नहीं थक रहा वहीं दूसरी ओर उसके आधुनिकता के दावों की पोल स्टेशनों पर लगी ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनें आए दिन होती रहती हैं| सबसे बुरा हाल जालंधर रेलवे स्टेशन का है| जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन पर टिकट की लाइन से आम जनता को छुटकारा दिलाने के लिए ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीन लगाई गई थी लेकिन लगने के कुछ दिनों बाद ही है खराब हो गई| रेलवे की ओर से इसे ठीक कराया गया था लेकिन अब यह मशीन फिर से खराब हो गई है| उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है| जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन के अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं| वही यात्री आपस में लड़ झगड़ रहे हैं|
सबसे बुरा हाल आज सुबह उस वक्त देखने को मिला जब होशियारपुर पैसेंजर ट्रैक पर खड़ी थी और यात्री टिकट के लिए मारामारी कर रहे थे| लाइन इतनी लंबी थी कि दर्जनों यात्रियों की ट्रेनें ही छूट गई| इनमें कुछ ऐसे यात्री भी थे जिन्होंने टिकट तो खरीद ली थी लेकिन ट्रेन नहीं पकड़ पाए| कुछ ऐसा ही दिल्ली के लिए दादर एक्सप्रेस पकड़ने वालों के साथ हुआ| टिकट की खिड़की पर लगी भीड़ के चलते उनकी ट्रेन भी छूट गई थी| यात्री उमेश कुमार का कहना है कि उन्होंने रिजर्वेशन के लिए भी ट्राई किया था लेकिन उन्हें रिजर्वेशन नहीं मिल पाया था| अब जनरल में जाने की उम्मीद भी टूट गई है क्योंकि ट्रेन छूट चुकी है| रेल मंत्री पीयूष गोयल भले ही बुलेट ट्रेन का सपना भारत को दिखा रहे हो लेकिन हकीकत यह है कि वह जमीनी व्यवस्थाएं सुधारने में भी नाकाम साबित हो रहे हैं| ऐसे में चाहे नरेंद्र मोदी हो या फिर पियूष गोयल बुलेट ट्रेन महज छलावा ही साबित होगी| पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी इसी के चलते हटा दिए गए थे| अब बारी पियूष गोयल की है| वही लापरवाह रेलवे अधिकारियों के चलते आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है| अगर मशीनें ठीक नहीं रखी जा सकती है तो फिर रेलवे अधिकारी उन्हें लगाने में पैसा बर्बाद क्यों कर रहे हैं| इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी रेलवे अधिकारी के पास नहीं है| कुल मिलाकर रेलवे की व्यवस्था में पटरी हो चुकी है और रेल अधिकारी बेलगाम हो गए हैं|