पंजाब

वाह रे सिद्धू साहब! टिवाना और वरिंदर कौर के पापों की सजा खन्ना को दे डाली

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
आधी अधूरी तैयारियों के साथ जालंधर में अवैध बिल्डिंगों और अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई करने पहुंचे नवजोत सिंह सिद्धू के दौरे के दौरान कई खामियां भी उजागर हो रही हैं| जनता के बीच खुद को हीरो साबित करने के लिए सिद्धू ने 8 अधिकारियों को सस्पेंड और 10 को चार्जशीट करने के आदेश दे दिए लेकिन इसमें कुछ ऐसे अधिकारी बच निकले जो वास्तव में कसूरवार थे| ऐसा ही एक उदाहरण मॉडल टाउन और आसपास के इलाकों में बनाई गई अवैध बिल्डिंगों को लेकर सामने आया है| यहां अवैध निर्माण तो करवाए बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह दीवाना और बिल्डिंग इंस्पेक्टर वरिंदर कौर ने लेकिन कार्रवाई झेलनी पड़ गई बिल्डिंग इंस्पेक्टर अरुण खन्ना को|


गौरतलब है कि मॉडल टाउन और आसपास के जिन इलाकों में अवैध निर्माण की लिस्ट नवजोत सिंह सिद्धू लेकर आए थे उन इलाकों में लगभग साढ़े तीन साल से बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह टिवाणा और वरिंदर कौर तैनात थे| लगभग 95 फ़ीसदी से भी अधिक अवैध निर्माण इन्हीं दोनों बिल्डिंग इंस्पेक्टरों के कार्यकाल में उक्त इलाके में किए गए लेकिन सिद्धू साहब का डंडा चल गया इस इलाके में लगभग दो महीना पहले ही तैनात हुए बिल्डिंग इंस्पेक्टर अरुण खन्ना पर|
दरअसल, इस इलाके में लगभग सवा 2 साल से बिल्डिंग इंस्पेक्टर वरिंदर कौर तैनात थीं| उसके पहले लगभग डेढ़ साल तक बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह टिवाणा तैनात थे| यहां जितने भी अवैध निर्माण हुए वह इन्हीं दोनों बिल्डिंग इंस्पेक्टरों के कार्यकाल में हुए हैं| अरुण खन्ना को इस इलाके का चार्ज संभाले सिर्फ 2 महीने का वक्त ही हुआ है| 18 अप्रैल 2018 को खन्ना के ट्रांसफर आर्डर हुए थे और 24 अप्रैल 2018 को उन्होंने मॉडल टाउन और आसपास के इलाकों का चार्ज संभाला| लगभग 4 साल पहले जब अरुण खन्ना के पास यह इलाका था तो उस समय खन्ना ने एक ही दिन में लगभग 40 से भी अधिक अवैध इमारतों के खिलाफ डिमोलिशन की कार्रवाई की थी| उस वक्त अकाली दल के तत्कालीन जिला प्रधान गुरचरण सिंह चन्नी के एक रिश्तेदार का अवैध निर्माण हटाने को लेकर खन्ना के साथ काफी बवाल भी हुआ था| अवैध बिल्डिंगों और अवैध कॉलोनियों के खिलाफ यह कार्रवाई अरुण खन्ना को उस समय भी भारी पड़ गई थी और उनका तबादला लुधियाना के लिए कर दिया गया था| इसके पूर्व अरुण खन्ना के पास गुरु अमरदास नगर और वेरका मिल्क प्लांट की बैक साइड का इलाका था| खन्ना जब भी इस इलाके में कार्यवाही करने के लिए जाते तो तत्कालीन एटीपी बांके बिहारी उन्हें रोक देते थे| इनमें वीनस वैली, सलेमपुर रोड, अशोक विहार आदि इलाके शामिल हैं जिसका खामियाजा बाद में विभागीय कार्रवाई के रूप में बांके बिहारी को भुगतना भी पड़ा| यहां एक कांग्रेस विधायक के राजनीतिक दबाव का सामना भी कई बार खन्ना को झेलना पड़ा.

https://youtu.be/TCQp3hFRwWw

एक बार जब खन्ना ने स्वर्ण पार्क में बनाई जा रही अवैध दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की तो खुद कांग्रेस नेता राजन शारदा खन्ना से निगम कार्यालय आकर उलझ पड़े थे. जब शारदा को पता चला कि एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पर खन्ना ने कार्रवाई की है तो शारदा उस अखबार के दफ्तर तक पत्रकार से खबर न छापने की गुजारिश करने जा पहुंचे थे.
अब सवाल यह उठता है कि जब मॉडल टाउन इलाके में अवैध निर्माण रुपेंद्र सिंह टिवाना और वरिंदर कौर के समय में हुए हैं तो फिर अरुण खन्ना को निशाना क्यों बनाया गया? क्या सिर्फ इसलिए कि वर्तमान में अरुण खन्ना वहां पर तैनात हैं? छापेमारी से पहले सिद्धू ने या तो पूरा होमवर्क नहीं किया या फिर उन्हें अधिकारियों द्वारा गुमराह किया गया| दिलचस्प बात यह है कि अवैध निर्माण को संरक्षण देने वाले बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह टिवाना और वरिंदर कौर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई| खन्ना पर कार्रवाई करने से पहले वरिंदर कौर और रुपेंद्र सिंह टिवाना पर कार्रवाई होनी चाहिए| वैसे वरिंदर और ईमानदार छवि वाली बिल्डिंग इंस्पेक्टर हैं और उनके द्वारा कार्यवाही ना करने के पीछे हमेशा आला अधिकारी ही अहम वजह रहे हैं| वरिंदर कौर अपनी रिपोर्ट हमेशा अधिकारियों को सौंप दी थी लेकिन आला अधिकारियों ने उन्हें हमेशा कार्रवाई करने से रोका| बात अगर रुपेंद्र सिंह टिवाना की करें तो वह इस धंधे में पूरी तरह से लिप्त रहे हैं| भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे रुपेंद्र सिंह टिवाना ने एक के बाद एक अवैध इमारतें भ्रष्टाचार की बुनियाद पर ही खड़ी करवा दीं|

https://youtu.be/c4YoJRQHdas

स्थानीय निकाय मंत्री को अगर कार्रवाई करनी है तो सबसे पहले रुपेंद्र सिंह टिवाणा की संपत्तियों की जांच कराई जाए| टिवाणा और उनके परिजनों के बैंक खातों से लेकर एक एक चीज की जांच कराई जाए| साथ ही यह भी जांच कराई जाए कि टिवाणा के कार्यकाल में कितनी बिल्डिंगों के चालान किए गए और कितनों के खिलाफ एक्शन लिया गया| जांच में दोषी पाए जाने पर टिवाणा के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई जानी चाहिए| साथ ही यह भी जांच कराई जानी चाहिए कि अरुण खन्ना के इस 2 महीने के कार्यकाल में कितनी अवैध बिल्डिंग में मॉडल टाउन में तैयार हुई| अगर यह जांच निष्पक्ष तरीके से की गई तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी और बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह टिवाणा किसी भी सूरत में नहीं बच पाएंगे|

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