पंजाब

भंडारी नहीं इस भाजपा नेता की वजह से नॉर्थ विधानसभा हलके में जीते अटवाल, जानिये कैसे?

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
जालंधर संसदीय क्षेत्र से भले ही कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी संतोख सिंह लोकसभा चुनाव में जीत चुके हैं लेकिन उनकी जीत से ज्यादा चर्चा नॉर्थ विधानसभा हलके में कांग्रेस की हार को लेकर हो रही है. निश्चित तौर पर यहां पूर्व मंत्री अवतार हैनरी और उनके सुपुत्र एवं विधायक बावा हैनरी का दबदबा है. यही वजह थी कि विगत विधानसभा चुनाव में बावा हैनरी ने भाजपा के केडी भंडारी को धूल चटा दी थी. अब लोक सभा चुनाव में ऐसा क्या हुआ कि उसी इलाके से हैनरी परिवार कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी संतोख सिंह को जीत नहीं दिला सका, यह सवाल सबके जेहन में रह-रह कर उठ रहा है. हालांकि, भाजपा नेता केडी भंडारी और उनके समर्थक इस नॉर्थ विधानसभा की जीत पर खुद अपनी पीठ थपथपाने में लगे हुए हैं लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही है. नॉर्थ विधानसभा इलाके में कांग्रेस की हार के पीछे का असली खिलाड़ी युवा भाजपा नेता किशनलाल शर्मा है.
दरअसल, जब इस सीट पर विधानसभा चुनाव हुआ था उस वक्त किशनलाल शर्मा को भाजपा से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका था और किशनलाल ने अपने हजारों युवा समर्थकों की फौज के साथ खुलकर बावा हैनरी के पक्ष में प्रचार किया था. नतीजतन पहली बार चुनाव लड़ रहे एक ऐसे युवा ने सियासी दिग्गज केडी भंडारी को चारों खाने चित कर दिया जिसने कभी पंचायत का इलेक्शन भी नहीं लड़ा था. उस वक्त किशनलाल शर्मा की ही ताकत थी जिसने भंडारी की हार में अहम भूमिका निभाई थी.
लोकसभा चुनाव में न हैनरी परिवार का दबदबा कम हुआ और न ही उनकी सियासी जमीन को कोई फर्क पड़ा. असल में उस वक्त कांग्रेस को हजारों वोटों की लीड दिलाने वाला किशनलाल शर्मा और उनकी टीम इस बार मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जी जान से जुट गई. किशनलाल अब भाजपा में वापसी कर चुके थे. ऐसे में जो वोट बैंक किशनलाल के इशारे पर विधानसभा चुनाव में हैनरी के पाले में चला गया था वो लोकसभा चुनाव में वापस अकाली-भाजपा गठबंधन के खाते में आ गया. यही वजह रही कि नॉर्थ विधानसभा इलाके में अटवाल जीत गए.
इतना ही नहीं, किशनलाल ने जहां भी पार्टी प्रत्याशी के लिए प्रचार किया वहां प्रत्याशी ने मैदान मार लिया. चाहे वह हिमाचल प्रदेश के अनुराग ठाकुर की ऊना सीट हो या फिर सोमप्रकाश की होशियारपुर सीट जहां पर पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला की सीट काट कर सोमप्रकाश को मैदान में उतारा गया था. जमीनी स्तर पर किशनलाल शर्मा ने अपनी शानदार मौजूदगी दर्ज कराते हुए सियासी समीकरण ही बदल डाले. अगर आगामी विधानसभा चुनाव में जालंधर नॉर्थ से गठबंधन किशनलाल शर्मा को मैदान में उतारती है तो निश्चित तौर पर यह सीट एक बार फिर हैनरी परिवार के हाथों से निकल कर गठबंधन की झोली में आ सकती है.

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