रामचंद्र कुमार अंजाना, बोकारो थर्मल
नावाडीह प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित ऊपरघाट में शुक्रवार की रात 3 की संख्या में जंगली हाथियों का झुंड छतीसगढ़ से पहुंच गयी है और रात में आदिवासी गांव मानपुर व जमुनिया के पांच घरों को निशाना बनाया। इस दौरान पांच बकरे व बकरियों को हाथियों ने कुचल दिया।
ग्रामीणों ने बताया कि शुक्रवार की रात लगभग 11 बजे के आसपास हजारीबाग के तिलैया-दुमूहान जंगल की और से 3 हाथी अचानक पहुंचे और जमुनिया के बुधन हेम्ब्रम के घर के पास आकर चिहागड़ने लगे। हाथी के आवाज सुनकर गांव वाले जाग गए। और घर निकलकर दुसरे जगहों पर छिप गए। हाथियों ने बारी-बारी से बुधन हेम्ब्रम, फेनीराम मुर्मू, संजोल सोरेन व मानपुर गांव के महेश मुर्मू तथा काशीनाथ मांझी के घरों को तोड़कर घर में रखे अनाज चावल, मकई आदि चट कर गए।
इस दौरान कई बकरी व बकरें भी हाथियों के चपेट में आ गए। ग्रामीणों ने बताया कि रात भर किसी तरह मशाल जलाकर अपनी और अपने परिवार की जान बचाई। तीन हाथियों में एक छोटा बच्चा भी शामिल है। फिलहाल पेंक-गोनियांटो स्थित रैलीबेड़ा जंगल में हाथियों का झुंड शरण लिए हुए है। हाथियों की झुंड पहुंचने की सुचना पर वन विभाग की टीम बेरमो रेंजर डीके श्रीवास्तव के निर्देश पर मानपुर-जमुनिया गांव पहुंचकर ग्रामीणों से घटना की जानकारी ली। वन विभाग की टीम ने साउड से ग्रामीणों को सर्तक कर, जंगल में नही जाने की हिदायत दी है। हाथियों का झुंड रैलीबेड़ा जंगल में शरण लेने के बाद आसपास के गांवों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
ग्रामीण अपने-अपने खेतों को भी देखने के लिए घर से नहीं निकल रहें है और ना ही मवेशियों को चराने के लिए जंगल ले जा रहें है। ग्रामीण अपने-अपने मवेशियों को घरों में बांध कर ही चारा खिला रहें है। वन विभाग के सतर्कता के बाद ग्रामीण इस बात से चिंता जाहिर कर रहें कि कई दिनों तक अपने-अपने जानवरों को घरों में बांध कर रखना पडेंगा। अगर शनिवार की रात को इस जंगल से हाथियों का झुंड दुसरे जंगलों में नहीं खदेड़ा जायेगा, तो मवेशियों का चारा खिलाने के लिए कहा ले जायेगे, इस बात की चिंता ग्रामीणों को सता रही है। ग्रामीण शुक्रवार की रात से ही अपने-अपने घरों के समीप जमा होकर रतजगा कर रहें है। बेरमो वन क्षेत्र के रेंजर डीके श्रीवास्तव ने बताया कि शनिवार की देर रात से हाथियों को खदेड़ने का अभियान शुरू किया जायेगा। वन विभाग की टीम हाथियों को जंगलों में तलाश रही है। हाथियों की सही लोकेशन नही मिलने के कारण आॅपरेशन में देरी हो रही है।
पानी व भोजन की तलाश में भटकते है हाथी: विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में अब पहले के जैसा हाथियों का भोजन व पानी नही मिलने के कारण अपना आश्रय छोड़कर पलायन कर रहें है। हाथियों का कोरिडोर बंगाल-छतीसगढ़ के रास्ते में ग्रामीण अतिक्रमण कर लिए है। जिसके कारण हाथियों का झुंड अपना कोरिडोर से हट कर ग्रामीण इलाकों में प्रवेश कर जाते है। जिसका नतीजा है कि हाथियों ने कई लोगों की जान ले ली है। झामुमो किसान मोर्चा के प्रखंड सचिव रामचंद्र सोरेन, मुखिया सुखमति देवी, पंसस राजकुमारी देवी, पंचायत सचिव बिशुन सोरेन ने भी पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें उचित मुआवजा दिलाने की बात कही।
झुमरा पहाड़ व ऊपरघाट में 10 दिनों तक हाथियों ने लगातार मचाया था उत्पात
इसी माह 31 अगस्त को पोखरिया-केशरगढ़ा में 14 हाथियों की झुंड ने उत्पात मचाया था। इसके बाद 2 सिंतबर से झुमरा पहाड़ के दर्जनों गांव खखडा, हरिदयामो, धवैया, तिलैया, तुलबुल, बारीडारी, लालगढ़ आदि गांवों में लगातार हाथियों के तीन अलग-अलग झुंडों कहर बपरा रखा था। वन विभाग की टीम के अथक प्रयास के बाद हाथियों को दामोदर नदी पार करा राहत की सांस ली थी। अगले साल सितंबर माह में ही मोहन महतो व दौलत महतो को हाथियों ने कुचलकर मार दिया था। इसके अलावे वनखेतवा गांव में 13 ग्रामीणों के घरों का ध्वस्त कर दिया था। घरों में रखे अनाज व फसल भी चट कर गए थे।