बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार अंजाना
बेरमो की पुलिस इन दिनों स्थायी वारंटियों (लाल वारंटियों) की गिरफ्तारी के लिए वरीय अधिकारियों के निर्देश पर विशेष छापाामारी अभियान चला रही है। पिछले कई दिनों से चल रहे इस अभियान में कई वारंटी पकड़े भी जा चुके हैं। लेकिन कुछेक मामलों में वारंटियों की धर-पकड़ के दौरान पुलिस की लापरवाही भी नजर आती है। ऐसा ही पेंक-नारायणपुर (नावाडीह) थाना से जुड़ा मामला सामने आया है, जिसमें पुलिस के काम करने का तरीका पता चलता है। दरअसल मुर्दें का वारंट लेकर पुलिस घूम रही है। नावाडीह थाना के एक मामले में आरोपी मोस्ट वांटेड माआवोदी चिराग उर्फ प्रमोद उर्फ रामचंद्र महतो की वांरट लेकर पुलिस घुम रहीं है। लेकिन माओवादी चिराग की मौत 29 जनवरी 2016 को बिहार के जमुई जिला के चरकापत्थर थाना क्षेत्र के खिजुरवा पहाड़ जंगल में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। इससे पूर्व भी पेंक-नारायणपुर थाना के तत्कालिन थाना प्रभारी शिवलाल टुडू भी एक मरें हुए माओवादी सब जोनल कमांडर जीतू उर्फ शंकर दा का वांरेट लेकर काफी दिनों तक उसे गिरफ्तार करने के लिए घुमते रहें, जब इसकी जानकारी मुखिया और मीडिया कर्मियों को मिली तो उसका मृत्यु प्रमाण पत्र थाना प्रभारी को दिया गया था। ठीक उसी तरह नावाडीह थाना अब पेंक-नारायणपुर थाना में माओचादी चिराग के बारें में इस केस के आइओ को indiatime24.com प्रतिनिधि ने मारे जाने की जानकारी उपलब्ध कराई। माओवादी चिराग उर्फ प्रमोद झारखंड-बिहार के जोनल कमांडर था। इस 30 लाख का इनाम बिहार में था। इसके अलावे झारखंड में पांच लाख इनाम घोषित था। इस मामले में पुलिस का कहना है कि अलग-अलग थाना में केस होने के कारण इस तरह की तकनीकी गड़बड़ी हो जाती है। थाना प्रभारी और आइओ को आरोपियों के जमानत की जानकारी नहीं रखने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है और मुर्दें का वांरट निर्गत करवा लेती है।
23 थाना की पुलिस माओवादी चिराग का शव लेकर पहुंची थी: 29 जनवरी 2016 की रात जमुई जिला के चरकापत्थर थाना क्षेत्र के खिजुरवा पहाड़ जंगल में पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद बिहार और झारखंड की 23 थाना की पुलिस चिराग का शव को लेकर ऊपरघाट के पिपराडीह गांव पहुंची थी। पुलिस शव को जलाकर ही वापस लौंटी थी।
बगोदर के माले विधायक की हत्या के बाद माओवादी सुर्खियों में आया था। सीबीआई कई बार चिराग के घर में छापामारी भी किया गया था। इसके बाद गिरीडीह के भेलवाघाटी और चिलखारी नरसंहार और गिरीडीह जेल बे्रक की घटना में चिराग उर्फ प्रमोद ही लीड़ किया था।
कई थाना प्रभारी मिल चुके है चिराग के परिजन से: माओवादी चिराग के मरने के बाद नावाडीह और पेंक-नारायणपुर थाना के कई थाना प्रभारी मिलकर उनके परिजनों को मदद भी कर चुके है। हाल में भी तत्कालिन थाना प्रभारी कार्तिक महतो ने चिराग और शंकर सहित अन्य माओवादियों के परिजनों से मिले थे और उन्हें मदद भी किए थे।
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