नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
राजस्थान का चुनावी घमासान बड़े ही दिलचस्प मोड़ पर आ खड़ा हुआ है| सत्ता विरोधी लहर पर हर कोई सवार होना चाहता है. सबसे बड़ी जोड़-तोड़ मुख्य विरोधी पार्टी कांग्रेस में देखने को मिल रही है| यहां टिकटों की खरीद-फरोख्त की खबरें भी आनी शुरू हो गई हैं| ताजा मामला किशनगढ़ विधानसभा सीट का है| सूत्रों की मानें तो यह सीट 11 करोड़ रुपए में एक कांग्रेस दावेदार ने खरीद ली है|
यह वही कांग्रेस का दावेदार है जो लगभग 22 साल पहले निर्दलीय पार्षद का चुनाव लड़ा था| उसके बाद कांग्रेस के ही खिलाफ वर्ष 2003 में भी निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ा था| हालांकि, इस चुनाव में उसकी जमानत जब्त हो गई थी और वर्षों तक प्रॉपर्टी के काले कारोबार में मोटा पैसा कमाने के बाद वह एक बार फिर बरसाती मेंढक की तरह चुनावी मैदान में कूद पड़ा है| यह कांग्रेस का दावेदार एक आला नेता का करीबी बताया जाता है| यही वजह है कि लगभग 2 माह से यह अपना टिकट पक्का मानकर चुनाव प्रचार में लगा हुआ है| सूत्रों की मानें तो इस दावेदार ने पार्टी के आला नेताओं के समक्ष 11 करोड़ रूपए का चढ़ावा चढ़ाया है| खुद को वैश्य जाति का बताने वाला यह नेता असल में महावत समुदाय से ताल्लुक रखता है. जो किसी भी शपथ पत्र में अपनी जाति का उल्लेख करने से गुरेज करता है.
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समाज में भले ही इसकी पकड़ कमजोर हो लेकिन पार्टी में पकड़ मजबूत बताई जाती है| सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर उनकी प्लॉटिंग प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत से करके उन्हें बेचने के खेल में इस नेता को पारंगत माना जाता है|
सूत्र बताते हैं कि 11 करोड़ रुपए देकर इसने टिकट खरीदी है लेकिन यह 11 करोड़ रुपए किस आला नेता को दिए गए हैं इसकी पुष्टि सूत्र नहीं करते। फिलहाल, टिकट की इस खरीद फरोख्त के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को कुछ भी मालूम नहीं है। मामला फिलहाल राहुल गांधी के संज्ञान में नहीं आया है| कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि टिकट की खरीद फरोख्त कांग्रेस में नहीं होने दी जायेगी. हम जनता के पसंदीदा उम्मीदवार को ही मैदान में उतारेंगे. पैराशूट उम्मीदवार नहीं जमीनी कार्यकर्ता को मौका दिया जायेगा.
यह देखना दिलचस्प होगा कि 11 करोड़ के इस खेल की जांच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करवाते हैं या फिर भू माफिया के करीबी आला नेता उसे टिकट दिलवाने में कामयाब हो जाते हैं| बहरहाल, जाटों और ब्राह्मणों के वर्चस्व वाली इस सीट पर अगर इस दागदार दावेदार को कांग्रेस को उतारती है तो निश्चित तौर पर उसे यह सीट गंवानी पड़ेगी। बरसों तक सियासत से किनारा करने वाला यह नेता अगर मैदान में उतरता है तो कांग्रेस की अंदरूनी कलह की सड़कों पर आने से कोई नहीं रोक पाएगा| निश्चित तौर पर यह नेता सियासी जमीन में वजूद की तलाश कर रहा है और इससे बेहतर मौका इसे दूसरा नहीं मिलने वाला| यही वजह है किस नेता ने ₹11 करोड़ रुपए पानी की तरह बहा दिये हैं और आगे भी बहाने को तैयार है. मगर शायद यह नेता भूल गया है कि पैसे से टिकट तो हासिल किया जा सकता है मगर जीत नहीं.