दिल्ली

जॉब चाहिए, जुमला नहीं : युवा-हल्लाबोल

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली 
सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार और अवसरों की कमी के सवाल पर युवा-हल्लाबोल ने देश के कई हिस्सों में युवाओं की पंचायत का आयोजन किया। पंचायत में युवा प्रतिनिधियों ने बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ देशव्यापी आंदोलन चलाने की रूपरेखा बनाई और अपने अपने शहरों में युवा-हल्लाबोल के आयोजन का निर्णय भी लिया।

ज्ञात हो कि युवा-हल्लाबोल सरकारी नौकरी में अवसरों की कमी और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ चल रहा राष्ट्रव्यापी आंदोलन है। एसएससी घपले के ख़िलाफ़ भी युवा-हल्लाबोल ने देशभर में प्रदर्शन और दिल्ली के संसद मार्ग पर रैली का आयोजन किया था। जाने माने वक़ील श्री प्रशांत भूषण अब एसएससी का मामला उच्चतम न्यायालय में लड़ रहे हैं। रोज़गार की आस लगाए छात्रों के लिए युवा-हल्लाबोल देश के आक्रोशित और आंदोलित युवाओं की असरदार आवाज़ है।

युवा-हल्लाबोल का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने कहा कि युवा-हल्लाबोल के द्वारा आज कई शहरों में पंचायत का आयोजन किया गया है जिसमें आंदोलन की रूपरेखा पर चर्चा हुई। कोलकाता, पटना, जयपुर, भोपाल, इलाहाबाद, रेवाड़ी, बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे समेत देश के कई शहरों में बैठकें हुई हैं। यह स्पष्ट हो गया है कि सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहा छात्र अब सिस्टम की नाकामी के सामने मौन नहीं रहेगा और इस संघर्ष को सार्थक अंजाम तक पहुंचाएगा। तरह तरह की भर्ती परीक्षाओं में हुए धांधली के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे छात्र अब युवा-हल्लाबोल के माध्यम से अपनी मांगों को और मजबूती से उठा रहे हैं।

युवा-पंचायत में हुए संवाद से यह स्पष्ट हो गया कि छात्रों में सरकार की उदासीनता को लेकर भारी रोष है। अपने भविष्य को लेकर युवा अनिश्चित हैं और अंधकार में हैं। चिंता जाहिर की गई कि अगर युवा ही असुरक्षित हों तो देश का भविष्य भला कैसे सुरक्षित हो सकता है।

सरकारी नौकरियों में आज 24 लाख से ज़्यादा पद रिक्त हैं। लेकिन इन्हें भरने की बजाए केंद्र सरकार ने 4 लाख पदों को ख़त्म कर दिया। एक तरफ जहाँ दिन ब दिन देश की आबादी बढ़ रही है, सरकार नौकरियों की संख्या कम करते जा रही है। जो थोड़ी बहुत नौकरियां हैं भी तो वो किसी न किसी तरह के भ्रष्टाचार या धांधली का शिकार हो जा रहे हैं। पढ़े लिखे छात्र इस भ्रष्ट तंत्र में पिसते जा रहे हैं। आये दिन कोई न कोई पेपर लीक या नौकरी बेचने वाले गिरोहों की ख़बर मिलती है। ऐसे में शिक्षित युवाओं का देश की परीक्षा प्रणाली से भरोसा उठता जा रहा है। सरकारी नौकरी के लिए आज मेहनत या मेरिट की जगह पैसा या पैरवी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे वक़्त में जब हमारी चुनी हुई सरकारों को युवाओं की पीड़ा समझकर इसका समाधान करना चाहिए था तो सरकार मानने को भी तैयार नहीं कि बेरोज़गारी एक समस्या है। युवा पंचायत ने एक सुर में सरकार को कहा है कि देश के युवाओं को जॉब चाहिए, जुमला नहीं।

अनुपम ने कहा कि युवा-हल्लाबोल के माध्यम से देशभर के युवा अब बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ सामूहिक संघर्ष के लिए एकजुट हो रहे हैं। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि देश की दशा दिशा तय करने वाले युवाओं को अपना भविष्य ही आज अंधकारमय दिख रहा है। जिनके समर्थन से यह सरकार बनी, जिनको सालाना दो करोड़ नौकरी का वादा करके ये सत्ता में आए, आज उन्हीं युवाओं के साथ सरकार ने छल किया है।

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