अमित पाठक, बहराइच
विकासखंड बिशेश्वरगंज से लगभग 10 किलोमीटर उत्तर में नहर पर चल रहे पुल पर फ्लोरिंग कार्य में संबंधित अधिकारियों की मिली भगत से ठेकदारों द्वारा घोर अनियमिता बरती जा रही है जो की बड़ी दुर्घटना को सीधे दावत है।
नहर के ऊपर बनाए जा रहे फ्लोरिंग संख्या VRBK.M.- 8.500, 6.000 व 9.800 के निर्माण में नहर विभाग के ठेकदारों नें अनियमिताओं की सारी हदें पार कर दी है।
संवाददाता अमित पाठक द्वारा चल रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण किया गया तो उपर्युक्ततीनों फ्लोरिंग का निर्माण मिट्टी, पीले ईंट, और बालू से किया जा रहा है,मोरंग सीमेंट को सिर्फ दिखाने के लिए अलग रखा गया है, अव्वल (पक्की) ईंटों का कहीं नामोनिशान नहीं है।
वहाँ के स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों तथा कार्यरत मजदूरों से इस सम्बंध में बातचीत की तो मजदूरों ने बताया कि सात/एक (सात हिस्सा बालू और एक हिस्सा सीमेंट)के मिश्रण से कार्य कराने को कहा गया है जबकि मौके पर जो घोल था वह एक और झूँठ बयाँ कर रहा था और पीले ईंटों को लाल पेटी बताने को कहा गया है।
इस संबंध में क्षेत्र पंचायत सदस्य व भाजपा के सेक्टर प्रभारी घनश्याम तिवारी ने बताया कि ये ईंट पीली भी नही बिल्कुल मिट्टी है और एक हाथ से ही तोड़ कर दिखाया भी, उन्होंने कहा कि ये सब ठेकेदारों और जेई की मिलीभगत से हो रहा है उन्होंने बताया कोई रोकने का प्रयास भी करता है तो उनके दबंग लोग और स्वयं ठेकेदार कहते है कि उन्हें किसी का भय नहीं है हमारा सीधा परसेंटेज चलता है हम सबको कमीशन देते है तो क्या अपने घर से लाकर देंगें वह भी तो यहीं से निकालेंगे। वहीं पर उपस्थित एक और क्षेत्र पंचायत सदस्य मोहन चंद पाण्डेय ने एक और खुलासा करते हुए बताया कि जो भी उक्त प्रकरण के बारे में बोलता है उसे मोबाइल आदि की भी व्यवस्था कराई जाती है, संवाददाता ने सच्चाई के तह में जाने हेतु जेई बलराम गुप्ता (8.500 व 6.000) तथा जेई विनय मिश्र ( 9.800 ) से फोन पर बातचीत करने का प्रयास किया तो उन्होंने कहा मै निर्माण साइट पर ही मिलूंगा तब बात करूंगा अभी व्यस्त हूं का बहाना बताते रहे तथा कार्य को और तेजी से अंजाम देते रहे इस प्रकरण पर कुछ भी बोलने से बचते रहे।
शासन के निरंतर प्रयास के बाद भी भ्रष्ट अधिकारी क्षणिक लाभ के लिए लाखों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने में जुटे हैं। तथा सरकार को मुँह चिढ़ाने में मसरूर हैं।
परेशान जनता के लिए अब तो सत्यापन ही एक मात्र विकल्प है |