दिल्ली

बेरोज़गार युवाओं से सैकड़ों करोड़ की कमाई करके सरकार ने रेलवे भर्ती के नाम पर छात्रों से किया अन्याय

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली 

बेरोज़गारी पर विफ़लता का गंभीर आरोप झेल रहे मोदी सरकार ने छात्र आंदोलन के दबाव में और लोकसभा चुनावों को देखते हुए रेलवे में बहुप्रचारित मेगाभर्ती निकाला था। फॉर्म की फीस के नाम पर सरकार ने अपनी इसी मेगा भर्ती से लगभग 900 करोड़ की कमाई तो कर ली लेेकिन अफसोस कि शिक्षित बेरोज़गार युवाओं को नौकरी का सपना दिखाने वाली सरकार रेलवे की यह भर्ती सुचारू ढंग से करवाने में नाकाम रही है।

भारत सरकार ने इस परीक्षा के हर चरण में अनियमितताओं के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। असिस्टेंट लोको पायलट और टेक्नीशियन के 26502 पदों के लिए फरवरी 2018 में विज्ञापन जारी किया गया और कुछ ही दिनों में सरकार ने पदों की संख्या बढ़ाकर 64371 कर दी।

रेलवे मेगाभर्ती के नाम पर सरकार ने खूब वाहवाही लूटने की कोशिश की और इसके लिए लगभग 47 लाख लोगों ने फॉर्म भरे। यहीं से गड़बड़ियों और अनियमितता का भी दौर शुरू हो गया।

कई आवेदकों का फॉर्म रिजेक्ट होने और परीक्षा केंद्र हज़ारों किलोमीटर दूर होने से छात्रों में भारी आक्रोश

बड़े लंबे इंतजार के बाद रेलवे की ये भर्ती निकली थी इस लिए फॉर्म भरने के बाद अभ्यर्थी तैयारी में जुट गए लेकिन जैसे ही एडमिट कार्ड आया भारी संख्या में छात्र आक्रोशित हो गए। आक्रोशित छात्रों की दो कैटेगरी थी एक ग्रुप था जिनका फॉर्म रिजेक्ट कर दिया गया था और दूसरा ग्रुप जिनका फॉर्म तो स्वीकार कर लिया गया लेकिन परीक्षा केंद्र हज़ारों किलोमीटर दूर दे दिया गया। ऑनलाइन परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों को हज़ारो किलोमीटर दूर एग्जाम सेंटर देना मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया की पोल खोलता है।

फॉर्म रिजेक्ट होने के कारण तमाम छात्र अवसाद में चले गए रिजेक्शन की वजह ‘डुप्लीकेट एप्पलीकेशन’ बताया जा रहा था जबकि सर्वर डाउन होने की वजह से कई छात्रों को कई बार अप्लाई करना पड़ा था कहीं फ़ोटो अपलोड होने में दिक्कत थी तो कही पेमेंट अटक जाता था। छात्रों का दूसरा तबका वो था जो परीक्षा केंद्र की दूरी से त्रस्त और आक्रोशित था। डिजिटल इंडिया के दावों की पोल इसी बात से खुल जाती है कि ऑनलाइन मोड में परीक्षा के लिए भी किसी छात्र को बिहार से कर्नाटक तो किसी को हरियाणा से तमिलनाडु तो किसी को बिहार से पंजाब भेज दिया गया। बेरोज़गार छात्रों ने शिकायतें की, रेलवे बोर्ड से लेकर सरकार को लिखा, परेशान होकर विरोध के लिए सड़कों पर भी उतरे लेकिन सरकार ने एक नहीं सुनी। अंततः स्वराज इंडिया उपाध्यक्ष अनुपम ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर छात्रों को हो रही परेशानी से अवगत कराया तो रेलवे बोर्ड ने संज्ञान लिया।

 गलत उत्तरकुंजी और रिज़ल्ट में अनियमितता के कारण छात्र आक्रोश में

परीक्षा के पहले चरण में 47 लाख आवेदकों में से 36,07,720 ने परीक्षा दिया। परिणाम आया तो छात्रों ने गलत उत्तर का हवाला दिया तो दुबारा रिजल्ट निकाला गया। इस रिवाइज्ड रिजल्ट में पहले से पास कुछ छात्रों को रिजल्ट से बाहर कर दिया गया और लगभग 9 लाख अभ्यर्थियों को दूसरे चरण की परीक्षा के लिए बुलाया गया।

दूसरे चरण की परीक्षा के बाद जब उत्तरकुंजी और परिणाम जारी किया गया तो छात्र अगले चरण की साइको टेस्ट की तैयारी में जुट गए। तभी रेलवे ने एक नई उत्तरकुंजी जारी कर डाली जिसके आधार पर नया परिणाम भी निकाल दिया गया। और इस प्रक्रिया में पहले से पास कई छात्रों को फिर से फेल कर दिया जाता है। छात्र आक्रोशित हैं और दुबारा रिजल्ट को ठीक करने की मांग कर रहे हैं। रेलवे भर्ती में हो रही अव्वल दर्जे की अनियमितताओं पर युवा-हल्लाबोल ने आक्रोश जताया है। बेरोज़गारी के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन के कोऑर्डिनेटर गोविंद मिश्रा ने बताया कि युवा-हल्लाबोल शुरू से ही रेलवे भर्ती पर पैनी नज़र बनाये हुए है और सरकार द्वारा युवाओं को छलने के हर प्रयास को नाकाम करता रहेगा।

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