नीरज सिसौदिया, जालंधर
पुडा के निचले अधिकारियों का काला खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुलंदपुर, शेखे, कबूलपुर, कंगनीवाल के बाद अब नौली गांव और आदमपुर में भी इनके काले खेल का सुबूत सामने आया है. जी हां, जेडीए के नए ईओ ने भले ही सभी एसडीओ से चार्ज वापस लेकर जेई को अवैध कॉलोनियों की जांच का जिम्मा सौंप दिया हो लेकिन एसडीओ के काले खेल को उजागर करने में ये जेई भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे. ऐसे में इनकी कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं.
गांव नौली और आदमपुर से हरिपुर रोड पर शैलर के पास अवैध कॉलोनियां काटी गई हैं. यहां कई प्लाटों का सौदा भी किया जा चुका है लेकिन जेडीए के खजाने में इन कॉलोनियों का एक धेला भी नहीं आया है. इससे सरकारी राजस्व को करोड़ों रुपये की चपत लगी है. पुडा के अधिकारियों ने इन कॉलोनियों पर कोई भी कार्रवाई क्यों नहीं की यह सबसे बड़ा सवाल है. आखिर वो कौन से कारण हैं कि पुडा के अधिकारी आज भी इन कॉलोनियों पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं. अगर पुडा के जेई और अन्य अधिकारियों को ये कॉलोनियां नजर क्यों नहीं आती? अगर उन्हें सरकारी राजस्व को चपत लगाने वाली अवैध कॉलोनियां नजर नहीं आतीं तो फिर सरकार से उन्हें हर माह मिलने वाले मोटे वेतन पर रोक क्यों नहीं लगाई जाती? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब जनता चाहती है. कहीं न कहीं इन नाकामियों का जिम्मेदार कमजोर प्रशासन भी है जिसके चलते ये अधिकारी मनमानी करने पर उतारू हो जाते हैं.
निश्चित तौर पर कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा अपना मंत्रालय सही तरीके से संभालने में नाकाम साबित हुए हैं जिसका खामियाजा सरकारी खजाने को भुगतना पड़ रहा है. एक तरफ तो खजाना खाली होने के कारण राज्य में विकास पर ब्रेक लग गई है तो दूसरी तरफ अधिकारियों की चांदी हो रही है. बहरहाल, हम आगे भी आदमपुर और आसपास के इलाकों में बनाई गई अवैध कॉलोनियों का खुलासा करेंगे. जेडीए अधिकारियों और कॉलोनाइजरों के गठजोड़ का सच जानने के लिए पढ़ते रहिये indiatime24.com.