अशोक जैन, भीलवाड़ा
रंगीला राजस्थान अचानक ‘रेपिस्तान’ और ‘बवालिस्तान’ कैसे बनता जा रहा है। पिछले कुछ समय से कानून व्यवस्था की जैसी हालत इस प्रदेश में हो रही है उसने राजस्थान की छवि कबीलाई संस्कृति वाली बना दी है। ताजा मामला खाद्य सचिव और महिला आईएएस मुग्धा सिन्हा द्वारा की जा रही वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग का है जिसमें पोर्न फिल्म चलने लगी. आज तक यह पता नहीं चल सका है कि ये पोर्न वीडियो किसकी गलती से चली.
जयपुर में खाद्य सचिव मुग्धा सिन्हा की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में पोर्न फिल्म का प्रदर्शन हो गया।पूरा महकमा तलाश कर रहा है कि ऐसा कैसे और किसकी गलती से हुआ?डिजिटलीकरण की ये मामूली घटना या दुर्घटना है।जिसकी तलाश के बाद भी क्या रिजल्ट निकलेगा?क्योंकि जिस गूगल के प्लेटफार्म पर पूरी दुनिया के साथ समूचे भारत का सिस्टम जुड़ा हुआ है।उसे बंद करने की जुर्रत तो भारत सरकार भी नहीं कर सकती।इधर, कोटा में डीएसपी रिश्वत लेते शराब के जखीरे सहित एसीबी के हत्थे चढ़ता है,उधर बीकानेर में आईजी पर महिला सेक्सुअल हैरेसमेंट का परिवाद देकर पुलिस महकमे की जड़ें हिला देती है। रिटायर होने के कगार पर खड़े आईजी ने हालांकि मामला दे दिलाकर काबू कर लिया है लेकिन बद भला बदनाम बुरा हो चुका है।
अलवर के बाद पाली जिले में सामूहिक दुष्कर्म मामला हो या फिर जिलों में बढ़ती दुष्कर्म की घटनाएं।पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट व राजकार्य में बाधा के मामले या जयपुर के वैशाली में डीसीपी पर गोली चलने की वारदात।रोज ऐसी घटनाओं की भरमार पर पुलिस भले ही क्राइम रेट नहीं बढने का दावा करे,हकीकत में ये घटनाएं प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था ही साबित कर रही है।
पांच महीने में प्रदेश में ये सब क्यों,कैसे और किसलिए हो रहा है?जवाब किसी के पास नहीं है।एक चंदोलिया ही क्यों हर ओर लूट का साम्राज्य फैल चुका है। एसपी,एएसपी और डीएसपी सीधे हफ्ता वसूली में लगे हैं।थानेदारों की वसूली ने सिपाही की खोपड़ी घुमा रखी हो तो कानून व्यवस्था ठीक ही समझ लेनी चाहिए।
सवाल ये कि प्रदेश में आखिर सत्ता और पुलिस का इकबाल कम कैसे हो रहा है?जवाब ये कि पुलिस की अपराधियों से सांठगांठ ने थानों को लूट के अड्डों में बदल दिया है।अपराध से खाकी का गठजोड़ इसकी जड़ में हैं।इस गठजोड़ को सत्ता से जुड़े नेता बिनानी सीमेंट के जोड़ से भी ज्यादा मजबूत बना चुके हैं।
तबादलों की उठापटक दिलेर, ईमानदार अफसरों के मनोबल को तोड़ चुका है।जिसे ठिकाने लाने के लिए ठोस उपायों की जरूरत है।